Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 442
________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 12 : उ०५] [425 काले अणंतगुणे 4 // सूत्रं 447 // एएसि णं भंते ! पोरालिय-पोग्गलपरियट्टाणं जाव श्राणापाणु-पोग्गलपरियट्टाण य कयरे 2 हिंतो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा वेउब्वियपोग्गल-परियट्टा वइपोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा मणपोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा श्राणापाणुपोग्गलपरियट्टा अनंतगुणा बोरालियपोग्गल-परियट्टा अणंतगुणा तेयापोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा कम्मगपोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति भगवं जाव विहरइ // सूत्रं 448 // // इति द्वादशमशतके चतुर्थ उद्देशकः // 12-4 // // अथ द्वादशमशतके अतिपाताख्य-पञ्चमोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-श्रह भंते ! पाणाइवाए मुसावाए अदिन्नादाणे मेहुणे परिग्गहे एस णं कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पराणते ?, गोयमा ! पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे चउफासे पराणत्ते 1 / ग्रह भंते ! कोहे 1 कोवे 2 रोसे 3 दोसे 4 अखमे 5 संजलणे 6 कलहे 7 चंडिक्क 8 भंडणे 1 विवादे 10, एस णं कतिवन्ने जाव कतिफासे पराणते ?, गोयमा ! पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे चउफासे पराणत्ते 2 | अह भंते ! माणे मदे दप्पे थंभे गवे अत्तुकोसे परपरिवाए उकासे अवकासे उन्नामे दुन्नामे 12, एस णं कतिवन्ने 4 ?, गोयमा ! पंचवन्ने जहा कोहे तहेव 3 / श्रह भंते ! माया उवही नियडी वलये गहणे मे कक्के कुरूए जिम्हे किब्बिसे 10 पायरणया गृहणया वंचणया पलिउंचणया सातिजोगे य 15, एस णं कतिवन्ने 4 ?, गोयमा ! पंचवन्ने जहेव कोहे 4 / अह भंते ! लोभे इच्छा मुच्छा कंखा गेही तगहा भिज्मा अभिज्झा श्रासासणया पत्थणया 10 लालप्पणया कामासा भोगासा जीवियासा मरणासा नंदीरागे 16, एस णं कतिवन्ने ?, जहेब कोहे 5 / श्रह भंते !

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