Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ 424 / [भीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः पुढविकाइयत्ते पुच्छा, गोयमा ! अणंता 24 / केवइया पुरेक्खडा ?, अणंता, एवं जाव मणुस्सत्ते, वाणमंतरजोइसियवेमाणियत्ते जहा नेरइयत्ते, एवं जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते, एवं सत्तवि पोग्गलपरियट्टा भाणियव्वा 25 / जत्थ अस्थि तत्थ अतीयावि पुरेक्खडावि अणंता भाणियब्वा, जत्थ नत्थि तत्थ दोवि नत्थि भाणियव्वा जाव वेमाणियाणं वेमाणियत्ते केवतिया श्राणापाणुपोग्गलपरियट्टा अतीया ?, अणंता 26 / केवतिया पुरेक्खडा ?, अणंता 27 // सूत्रं 446 // से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चइ-थोरालियपोग्गल-परियट्टे पोरालिय-पोग्गल-परिय??, गोयमा ! जगणं जीवेणं श्रोरालियसरीरे वट्टमाणेणं पोरालिय-सरीर-पयोगाई दव्वाइं पोरालियसरीरत्ताए गहियाई बधाई पुट्ठाई कडाई पट्टवियाई निविट्ठाई अभिनिविट्ठाई अभिसमन्नागयाइं परियाझ्याइं परिणामियाइं निजिन्नाई निसिरियाई निसिट्टाई भवंति, से तेण?णं गोयमा! एवं वुच्चइ थोरालियपोग्गलपरियट्टे ओरालियपोग्गल परिय? 1 / एवं वेउब्वियपोग्गलपरियट्टेवि, नवरं वेउब्वियसरीरे वट्टमाणेणं वेउब्वियसरीरप्पयोगाई सेसं तं चेव सव्वं एवं जाव प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टे, नवरं प्राणापाणुपयोगाइं सव्वदम्बाई आणापाणत्ताए सेसं तं चेव 2 / पोरालिय-पोग्गलपरियट्टणं भंते ! केवइकालस्स निव्वत्तिजइ?, गोयमा ! अणंताहिं उस्तप्पिणि-योसप्पिणीहिं एवतिकालस्स निव्वत्तिजइ, एवं वेउब्वियपोग्गलपरियट्टवि, एवं जाव प्राणापाणुपोग्गलपरियोवि 3 / एयस्स णं भंते ! श्रोरालिय-पोग्गल-परियट्ट-निव्वत्तणाकालस्स वेउब्वियपोग्गला जाव प्राणुपाणु-पोग्गल-परियट्ट-निव्वत्तणा-कालस्स कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा ?,गोयमा ! सव्वत्थोवे कम्मग-पोग्गल-परियट्ट-निव्वत्तणाकाले तेया-पोग्गल-परियट्ट-निव्वत्तणा-काले अणंतगुणे पोरालिय-पोग्गलपरियट्टे अणंतगुणे आणापाणुपोग्गलपरिय? अणंतगुणे मणपोग्गलपरियट्टे अणंतगुणे वइपोग्गल-परिय? अणंतगुणे वेउब्वियपोग्गल-परियट्ट-निव्वत्तणा
Page Navigation
1 ... 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468