Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमद्व्याल्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतक 12 :: उ०१] (4.5 नो हव्वमागच्छइ, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं संखं समणोवासगं सदावेत्तए 3 / तए णं से पोक्खली समणोवासए ते समणोवासए एवं वयासी-अच्छह णं तुज्झे देवाणुप्पिया ! सुनिव्वुया वीसत्था अहन्नं संखं समणोवासगं सदावेमित्तिकट्टु तेसिं समणोवासगाणं अंतियायो पडिनिक्खमति 2 सावत्थीए नगरीए मज्झमझेणं जेणेव संखस्स समणोवासगस्स गिहे तेणेव उवागच्छति 2 संखस्स समणोवासगस्स गिहं अणुपवि? 4 / तए णं सा उप्पला समणोवासिया पोक्खलि समणोवासयं एजमाणं पासइ 2 हट्टतुट्ठ जाव हयहियया भासणायो अब्भु?इ 2 ता सत्त? पयाई श्रणुगच्छइ 2 पोक्खलि समणोवासगं वंदति नमसति वंदित्ता नमंसित्ता भासणेणं उवनिमंतेइ 2 एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किमागमणप्पयोयणं ?, 5 / तए णं से पोक्खली समणोवासए उप्पलं समणोवासियं एवं वयासी-कहिन्नं देवाणुप्पिए ! संखे समणोवासए ?, तए णं सा उप्पला समणोवासिया पोक्खलं समणोवासयं एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! संखे समणोवासए पोसहसालाए पोसहिए वंभयारी जाव विहरइ 6 / तए णं से पोक्सली समणोवासए जेणेव पोसहसाला जेणेव संखे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ 2 गमणागमणाए पडिक्कमइ 2 संखं समणोवासगं वंदति नमंसति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुपिया ! अम्हेहिं से विउले असण जाव साइमे उवक्खडाविए तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! तं विउलं असणं जाव साइमं श्रासाएमाणा जाव पडिजागरमाणा विहरामो 7 / तए णं से संखे समणोवासए पोक्खलिं समणोवासगं एवं वयासी-णो खलु कप्पइ देवाणुप्पिया ! तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं अासाएमाणस्स जाव पडिजागरमाणस्स विहरित्तए, कप्पइ मे पोसहसालाए पोसहियस्स जाव विहरित्तए, तं छदेणं देवाणुप्पिया ! तुम्भे तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं श्रासाएमाणा
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