Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 407
________________ ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः: ईहामिय-उसभ जाव भत्तिचित्तं अभितरियं जवणियं अंछावेइ अंडावेत्ता नाणामणि-रयण-भत्तिचित्तं अच्छरय-मउय-मसूर-गोच्छगं सेयवत्थपच्चुत्थुयं अंगसुहफासुयं सुमउयं पभावतीए देवीए भद्दासणं रयावेइ रयावेत्ता कोडवियपुरिसे सद्दावेइ सदावेत्ता एवं क्यासी-खिप्पामेव भो देवाणुःपया ! अटुंगमहानिमित्त-सुत्तत्थधारए विविहसत्यकुसले सुविणलक्खणपाढए सद्दावेह 1 / तए णं ते कोड बियपुरिसा जाव पडिसुणेत्ता बलस्स रन्नो अंतियात्रो पडिनिक्खमंति पडिनिक्खमित्ता सिग्धं तुरियं. चवलं चंडं वेइयं हथिणपुरं नगरं मझमज्झणं जेणेव तेसिं सुविण-लक्खण-पाढगाणं गिहाई तेणेव उवागच्छन्ति तेणेव उवागच्छित्ता ते सुविणलक्खणपाढए सद्दावेंति 10 / तए णं ते सुविणलक्खणपाढगा बलस्स रन्नो कोडुबियपुरिसेहिं सदाविया समाणा हट्टतुट्ट जाव हयहियया राहाया कय. जाव सरीरा सिद्धत्थगहरियालिया-कय-मंगलमुद्धाणा सरहिं 2 गिहेहितो निग्गच्छंति 2 हत्थिणापुरं नगरं मझमज्झणं जेणेच बलस्स रन्नो भवणवरखडेंसए तेणेव उबागच्छन्ति तेणेव उवागच्छित्ता भवण-वर-वडेंसग-पडिदुबारंसि एगो मिलंति एगो मिलित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छन्ति तेणेव उवागच्छित्ता करयल जाव कटु बलरायं जएणं विजएणं वद्धाति 11 / तए णं सुविणलक्खणपादगा बलेणं रन्ना वंदियपूइय-सकारिय-सम्माणिया समाणा पत्तेयं 2 पुवन्नत्थेसु भदासणेसु निसीयंति 12 / तए णं से बले राया पभावतिं देविं जवणियंतरियं ठगवेइ ठावेत्ता पुष्फफलपडिपुग्नहत्थे परेणं विणएणं ते सुविणलक्खणपाढए एवं वयासी--एवं खलु देवाणुप्पिया ! पभावती देवी अज तंसि तारिसगंसि वासघरंसि जाव सीहं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धा तरणं देवासुप्पिया ! एयस्स पोरालस्स जाव के मन्ने कलाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ?, 13 / तए णं सुविणलक्खणपाढगा बलस्स रन्नो अंतियं एयमढे सोचा

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