Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 386 ) ::, 2 . श्रीमदार्गमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः मरणकाले ?, 2 जीवो वा सरीरायो सरीरं वा जीवायो, सेत्तं मरणकाले 2 / से किं तं यद्वाकाले ?, 2 अणेगविहे पत्नत्ते, से णं समयट्टयाए श्रावलियट्टयाए / जाव उस्सप्पिणीट्टयाए 3 / एस णं सुदंसणा ! श्रद्धा दोहारच्छेदेणं छिजमाणी जाहे विभागं नो हव्दमागच्छइ सेत्तं समए, समयट्टयाए असंखेजाणं समयाणं समुदय-समिइसमागमेणं सा एगा श्रावलियत्ति पवुच्चइ, संखेजात्रो श्रावलियायो जहा सालिउद्देसए जाव सागरोवमस्स उ एगस्स भवे परिमाणं 4 / एएहि णं भंते ! पलियोवमसागरोकमेहि किं पपोयणं ?, सुदंसणा ! एएहि पलिश्रोवम-सागरोवमेहिं नेरइयतिरिवखजोणिय-मगुस्सादेवाणं श्राउयाई. मविज्जति 5 // सूत्र 426 // नेरझ्याणं भंते ! केवइयं कालं ठिई. पन्नत्ता ?, एवं ठिइपदं निरवसेसं भाणियव्वं जाव अजहन्नमणुकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पन्नत्ता // सूत्रं 427 // अस्थि णं भंते ! एएसि पलिग्रोवम-सागरोवमाणं खएति वा अवचयेति वा.?,. हंता अस्थि 1 / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ अस्थि णं एएसि णं पलिश्रोवम-सागरोवमाणं जाव अवचयेति वा ? एवं खलु सुदंसणा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं हथिणागपुरे नाम नगरे होत्था वन्नो , सहसंबबणे उजाणे वनयो, तत्थ णं हत्थिणागपुरे नगरे बले नाम राया होत्था वन्नयो, तस्स णं बलस्स रन्नो पभावई नाम देवी होत्था सुकुमाल वनश्रो जाव विहरइ 2 / तए णं सा पभावई देवी श्रन्नया कयाई तसि तारिसगंसि वासघरंसि अभितरो सचित्तकम्मे बाहिरयो दूमियघढमढे विचित्तउल्लोगचिल्लिगतले मणि-रयण-पणासियंधयारे बहुसमसुविभत्त-देसभाए पंचवन्न-सरस-सुरभि-मुक-पुष्फपुंजोवयार-कलिए कालागुरु पवर-कुंदुरुक-तुरुक-धूव-मघमघंत-गंधुद्धयाभिरामे सुगंधिवरगंधिए गंधर्वाट्टभूए तसि तारिसगंसि सयणिज्जसि सालिंगणवट्टिए उभो विन्बोयणे दुहयो उन्नए मज्मे.रायगंभीरे गंगा-पुलिण-वालुय-उद्दालसालिसए उवचिय
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