Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 377
________________ 36..] श्रीमागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो पिभागः नवरं वेसमणाए- रायहाणीए सेसं तं चेव जाव मेहुणवत्तियं 3 / बलिस्स णं भंते ! वइरोयणिंदस्स पुच्छा, अजो ! पंच अग्गमहिसीयो पन्नत्तायो, तंजहा-सुभा निसुभा रंभा निरंभा मदणा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए अट्ठ सेसं जहा चमरस्स, नवरं बलिचंचाए रायहाणीए परियारो जहा मोउद्दे सए, सेसं तं चेव, जाव मेहुणवत्तियं 4 / बलिस्स णं भंते / वइरोयणिंदस्स वइरोयणरन्नो सोमस्स महारनो कति अग्गमहिसीनो पन्नत्तायो ?, अजो! चत्तारि अग्गमहिसीयो पन्नत्ताओं, तंजहा-मीणगा सुभदा विजया असणी, तत्थ णं एगमेगाए देवीए सेसं जहा चमरसोमस्स, एवं जाव वेसमणस्स 5 / धरणस्स णं भंते ! नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो कति अग्गमहिसीयो पन्नत्तायो ?, अजो ! छ अग्गमहिसीनो पन्नत्तायो, तंजहा-इला सुका सदारा सोदामणी इंदा घणविज्जुया, तत्थ णं एगमेगाए देवीए छ छ देविसहस्सा परिवारो पनत्तो 6 / पभू णं भंते ! तायो एगमेगाए देवीए अन्नाई छ छ देविसहस्साइं परियारं विउव्वित्तए एवामेव सपुत्वावरेणं छत्तीसं देविसहस्साई, सेत्तं तुडिए 7 / पभू णं भंते ! धरणे सेसं तं चेव, नवरं धरणाए रायहाणीए धरणंसि सीहासणंसि सो परियाथो सेसं तं चेव 8 | धरणस्स णं भंते ! नागकुमारिंदस्स कालवालस्स लोगपालस्स महारनो कति अग्गमहिसीयो पन्नत्तायो ?, अजो ! चत्तारि अग्गमहिसीयो पन्नत्तायो, तंजहा-असोंगा विमला सुप्पभा सुदंसणा, तत्थ णं एगमेगाए अवसेसं जहा चमरस्स लोगपालाणं, एवं सेसाणं तिराहवि 1 / भूयाणंदस्स णं भंते ! पुच्छा, अजो! छ अग्गमहिस्सीयो, पन्नत्तायो, तंजहा-ख्या रुयंसा सुख्या रुयगावति रुयकता स्यप्पभा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए श्रवसेसं जहा धरणस्स 10 / भूयाणंदस्स णं भंते ! नागचित्तस्स (कुमार. स्स) पुच्छा, अजों ! चत्तारि श्रग्गमहिसीयो पराणत्तात्रो, तंजहा-सुणंदा सुभदा सुजाया सुमणा, तत्य णं एगमेगाए देवीए अवसेसं जहा चमरलोग

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