Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 371 ] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागा कहमेयं मन्ने एवं ? 5 / तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे परिसा जाव पडिगया 6 / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स जे अंतेवासी जहा बितियसए नियंठुद्देसए जाव अडमाणे बहुजणसह निसामेइ बहुजणो अन्नमन्नस्स एवं श्राइक्खइ एवं जाव परूवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसी एवं श्राइवखइ जाव परूवेइ-अस्थि णं देवाणुप्पिया ! तं चेव जाव वोच्छिन्ना दीवा सादा य, से कहमेयं मन्ने एवं ?, 7 / तए णं भगवं गोयमे बहुजणस्स अंतियं एयमढे सोचा निसम्म जाव सड्ढे जहा नियंठुद्देसए जाव तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य, से कहमेयं भंते! एवं ?, गोयमादि समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-जन्न गोयमा ! से बहुजणे अन्नमन्नस्स एवमातिक्खइ तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव भंडनिक्खेवं करेति हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग जाव पहेसु तं चेव जाव वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य, तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अंतिए एयमटुं सोचा निसम्म तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य तराणं मिच्छा 8 / अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एवं खलु जंबुद्दीवादीया दीवा लवणादीया समुहा संगणयो एगविहिविहाणा वित्थारो अणेगविहिविहाणा एवं जहा जीवाभिगमे जाव सयंभूरमणपजवसाणा अस्सि तिरियलोए असंखेज्जे दीवसमुद्दे पन्नत्ते समणाउसो! 1 / अस्थि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दव्वाइं सवन्नाइपि श्रवन्नाइंपि सगंधाइंपि अगंधाईपि सरसाइंपिअरसाइंपि सफासाइंपि अफासाइपि यन्नमन्नवद्धाइं अन्नमन्नपुट्ठाई जाव घडताए चिट्ठति ?, हंता अस्थि 10 / अस्थि णं भंते ! लवणसमुद्दे दव्वाई सवन्नाइंपि श्रवन्नाइपि सगंधाइं अगंधाइंपि सरसाइपि अरसाइपि सफासाइंपि अफासाइपि अन्नमनबद्धाई अन्नमन्नपुट्ठाई जाव घडत्ताए चिट्ठांति ?, हंता अस्थि 11 / अस्थि णं भंते ! धागइसंडे दीवे दवाई सवन्नाइपि एवं चेव
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