Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ भीमद्व्यास्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) : शतक 11 : उ० 10] [35 // अथ एकादशमशतके लोकाख्य-दशमोद्देशकः // . . रायगिहे जाव एवं वयासी-कतिविहे णं भंते ! लोए पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउबिहे लोए पन्नत्ते, तंजहा-दबलोए खेत्तलोए काललोए भावलोए 1 / खेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविहे पन्नत्ते, तंजहा अहोलोयखेत्तलोए 1 तिरियलोयखेत्तलोए 2 उड्डलोयखेत्तलोए 3, 2 / अहोलोयखेतलोए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! सत्तविहे पनत्ते, तंजहा-रयणप्पभा-पुढवि-अहेलोय खेत्तलोए जाव आहेसत्तमापुढविश्रहोलोय-खेत्तलोए 3 / तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा! असंखेजविहे पन्नत्ते, तंजहा-जंबुद्दीवे तिरियखेत्तलोए जाव सयंभूरमणममुद्दे तिरियलोयखेत्तलोए 4 / उड्डलोगखेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पनरसविहे पन्नत्ते, तंजहा-सोहम्मकप्प-उडलोगखेतलोए जाव अच्चुय-उड्डलोए गेवेजविमाणउड्डलोए अणुत्तरविमाणउड्डलोए ईसिंपन्भार-पुढवि उड्डलोग-खेत्तलोए 5 / श्रहोलोगखेत्तलोए णं भंते ! किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! तप्पागारसंठिए पन्नत्ते 6 / तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! किंसंठिए पन्नते ?, गोयमा ! मल्लरिसंठिए पन्नत्ते 7 / उड्डलोयखेत्तलोय पुच्छा, उडमुइंगाकारसंठिए पन्नत्ते 8 / लोए णं भंते ! किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा सुपइट्ठगसंठिए लोए पन्नत्ते, तंजहा-हेट्ठा विच्छिन्ने मज्के संखित्ते जहा सत्तमसए पढमुद्देसए जाव अंतं करेंति 1 / अलोए णं भंते ! किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! असिरगोलसंठिए पन्नत्ते 10 / अहेलोगखे. तलोए णं भंते ! किं जीवा जीवदेसा जीवपएसा ? एवं जहा इंदा दिसा तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव श्रद्धासमए 11 / तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! किं जीवा जीवदेसा जीवपएसा ?, एवं चेव, एवं उड्डलोयखेत्तलोएवि, नवरं अस्वी छब्बिहा श्रद्धासमश्रो नत्थि 12 / लोए णं भंते ! किं जीवा जहा वितियसए अत्थिउद्देसए लोयागासे, नवरं अस्वी सत्तवि
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