Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 5
________________ अज्झयणं-१ [१४] नापुट्ठो वागरे किंचि कोहं असच्चं कुवेज्जा अप्पा चेव दमेयव्वो [१५] [१६] वरं मे अप्पा दं अप्पा दं तो सही होइ माऽहं परेहि दम्मंतो [१७] पडिनीयं च बुद्धाणं आवी वा जइवा रहस्से [१८] न पक्खओ न पुरओ न जुंजे ऊरुणा ऊरुं [१९] नेव पल्हत्थियं कुज्जा पाए पसारिए वाऽवि [२०] आयरिएहिं वाहित्तो पसायट्ठी नियाग ट्ठी, [२१] आलवंते लवं ते वा [२५] " चइऊणं आ सनं धीरो [२६] समरेसु अगारेसुं [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] " भासादोसं परिहरे न वेज्ज पुट्ठो सावज्जं अप्पणट्ठा परट्ठा वा 9 [२२] आसनगओ न पुच्छेज्जा, आगम्मुक्कडुओ सं तो, [२३] एवं वि नयजुत्तस्स, पुच्छमाणस्स सीसस्स [२४] मुसं परिहरे भिक्खू एगो एगत्थिए सद्धिं [२७] जं मे बुद्धाणुसासं मम लाभो त्ति पेहाए [२८] अनुसासनमोवायं, तो, [२९] हियं विगयभया बुद्धा वेसं तं होइ मूढाणं [३०] आसने उवचि द्वेज्जा, अप्पुट्ठाई निरु ट्ठाई, 3 " 3 " " ति, 3 " हियं तं म नए पण्णो 3 " पुट्ठो वा नालियं व धारेज्जा पियमप्पियं || अप्पा हु खलु दुद्दमो [4] अस्सं लोए प रत्थ य ।। संजमेण तवेण य बंधणेहिं वहि य ।। चिट्ठे गुरु तुसिणीओ न कयाइ उवचिट्ठे गुरुं सया ।। न निसीएज्ज कयाइ जओ जुत्तं पडिस्सुणे ।। नेव सेज्जाओ पुच्छिज्जा पंजलीउडो ।। सुत्तं अत्थं च तदुभयं वागरिज्ज जहासुयं ।। न य ओहारिणि वए 9 वाया अव कम्मुणा नेव कुज्जा कयाइवि ।। नेव किच्चाण पिट्ठओ सयणे नो पडिस्सुणे । पक्खपिंडं च संजए ति ॥ | I I I मायं च वज्जए सया ।। न निरट्ठे न मम्मयं उभयस्संतरेण वा ।। गिहसंधीसु य महापहे व चिट्ठे न संलवे || सीएण फरुसेण वा I पयओ य तं पडिस्सुणे || दुक्कडस्स य चोयणं I वेसं होइ असाहुणो ।। फरुपि अ नुसासणं खंतिसोहिकरं पयं ॥ अणुच्चे अकुए थिरे निसीएज्जऽप्पकुक्कुए II I वि | वि । वी । I | | I 1 I [४३-उत्तरज्झयणं]Page Navigation
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