Book Title: Agam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पद-: www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२०) से किं तं पुढचिकाइया, पुढचिकाइया दुविहा पत्ता तं जहा सुहुमपुढविकाइया प बादरपुढविकाइयाय । 99-11 (२१) से किं तं सुहुमपुढविकाइया, सुहुमपुढविकाइया दुविहा पत्रत्ता तं जहा-पजतसुहुमपुढविकाइया य अपजत्तसुहुमपुढविकाइया य से तं सुहुमपुढविकाइया | १२1-12 (२२) से किं तं बादरपुढविकाइया, बादरपुढविकाइया दुविहा पनता तं जहा- सहबादरपुढविकाइया य खरबादरपुढविकाइयाय ।१३1-13 (२३) से किं तं सण्हबादरपुढविकाइया, सण्हबादरपुढविकाइया सतविहा पत्रत्ता तं जहाकिण्हमत्तिया नीलपत्तिया लोहियमत्तिया हालिद्दमत्तिया सुक्किकलमत्तिया पंडुमत्तिया पणगमत्तिया सेतं सहबादर पुढविकाइया । १४ ।-14 (२४) से किं तं खरबादरपुढविकाइया खरबादरपुढविकाइया अणेगविहा 194-9115-1 (२५) पुढवी य सक्करा चालुया य उवले सिलाय लोणूसे अय तंब तय सीसय रुप्प सुवण्णे य वइरे य (२६) हरियाले हिंगुलुए मणोसिला सासगंजण पवाले अब्भपडलब्मवालुय बादरकाए मणिविहाणा (२७) गोमेज्जए य रुपए अंके फलिहे य लोहियक्खे य मरगमसारगल्ले भुयमोयग इंदनीले य (२८) चंदण गेरुय हंसे पुलए सोगंधिए य बोधव्वे चंदष्प वेरुलिए जलकंते सूरकंते य 119311-4 (२९) जे यावण्णे तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पन्नता तं जहा- पचत्तगा य अपजत्तगाथ तत्य णं जेते अपजत्तगा ते णं असंपत्ता तत्थ णं जेते पजत्तगा एतेसि णं वण्णादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई संखेजाई जोणिप्पमुहसतसहस्साई पञ्चत्तगणिस्साए अवजत्तगा वक्कमंति-जत्य एगो तत्थ नियमा असंखेज्जा से तं खरबादरपुढविकाइया से तं बादरपुढविकाइया से तं पुढचिकाइया । १५/- 26 (३०) से किं तं आउक्काइया, आउक्काइया दुविहा पत्रता तं जहा सुहुम आउकूकाइया य बादर आउकूकाइया य से किं तं सुहुम आउकूकाइया, सुहुप आउक्काइया दुबिहा पत्ता तं जहापज्जत्तसुहुमआउक्काइया य अपज्जत्तसुहुम आउक्काइया य से तं सुहुप आउक्काइया, से किं तं बादरआउकूकाइया वादर आउक्काइया अणेगविहा पत्रत्ता तं जहा ओसा हिमए महिया करए हरतणुए सुद्धोदए सीतोदए उसिणोदए खारोदए खट्टोदए अंबिलोदए लवणोदए वारुणोदए खीरोदए धओदए खोतोदए रसोदए जे यावण्णे तहप्पगारा ते समासतो दुविहा पत्रत्ता तं जहा पञ्जत्तगा य अपचत्तगा य तत्थ णं जेते अपजत्तगा ते णं असंपत्ता तत्थ णं जेते पजत्तगा एतेसि णं वण्णादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई संखेज्जाई जोणिप्पमुहसयसहस्साइं पचत्तगणिस्साए अपञ्चत्तगा वक्कमति जत्य एगो तत्थ नियमा असंखेजा से तं बादरआउकूकाइया से तं आउक्काइया 19६1-18 (३१) से किं तं तेउक्काइया, तेउक्काइया दुविहा पन्नत्ता तं जहा- सुहुमते उक्काइया य बादरतेडक्काइया थ, से किं तं सुहुमतेउकूकाइया, सुहुमते उक्काइया दुविहा पन्नत्ता तं जहापञ्चत्तगा य अपजत्तगा य से त्तं सुहुमते उक्काइया, से किं तं बादरतेउक्काइया वादरतेउक्काइया For Private And Personal Use Only 119011-1 [19911-2 ।।१२|--3

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 ... 210