Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 9
________________ ८५ बाकीका पच्चखाण. (५) समुद्र में जहाज चले उसका परिमाण - देशान्तर जानेके लिये बडे जहाज के साथ ४ छोटी नावों के सिवाय के पच्चखाण | एक करण और तीन योगसे यानी मन, वचन, कायसे पांचवें व्रत के पञ्चखाण । छडा व्रत. इस व्रतमें चारों दिशाओं के कोसाका परिमाण किया जाना है। पांचवे व्रत में खेतवथ्थुका परिमाण किया है, उसीसे समझ पडता है, सूत्र पाटमें इसका कुछ खुलासा नहीं किया । सातवां व्रत. रोज भोग आनेवाली चीजों का परिमाण - मर्यादा :- (१) उलणियाविहं - गंध साडी यानी लाल साडी एक वाकीके शरीर के पढेका पञ्चखाण (२) दंतणविहं - जेठी मकी लकडीके दातुनको छोड कर वाकीके वृक्षोंकी लकडीके पच्चखाण. (३) फळविहं - गुठली रहित खीरकी तरह मीठे ऐसे खीर आंवलोंको छोडकर और और फलोंके पच्चखाण. (४) अभंगणविहं - शतपाक और सहस्रपाक तेलको छोडकर और और तेलके शरीर में मलने के पच्चखाण. ( ५ ) उवविहं गेहके आटे से मिला हुआ सुगंधित उबटनको छोड कर बाकी उबटनके पचखाण. (६) मझणविहं - आठ वढे वडे पानी को छोडकर निजके काममें आनेवाले पानी के पञ्चखाण. ( ७ ) वत्थविहं रुई के दो कपडे के सिवाय बाकी के वस्त्र के पच्चखाण. (८) विलेवणविहं- अगर, केशर, चंदनादिको छोड़ कर लेपके पच्चखाण. ( ९ ) पुष्कविहं- सफेद कमल, जाई, मालती आदिके फूलों की मालाके Bad ❤Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67