________________
अध्ययन ४ था - खरादेव गाथापति.
he
उस काल और उस समय में बाराणसी नगरी थी। वहां जीतशत्रु राजा राज्य करता था। वहां सुरादेव नामक एक गाथापति था । उसके छ कोटी सुवर्ण जमीनमें गडा हुआ था। छ कोटिसे व्यापार करता था और छ कोटिकी घरकी सजावट थी । इसके सिवाय दस हजार गायेका एक गोकुल ऐसे छ गोकुलका वे स्वामी था । उसकी स्त्री पांवों इन्द्रियेां से बडी रूपवाली थी, जिसका नाम था धन्ना ।
एक समय महावीर भगवान कोष्टक वनमें पधारे। उन्हें वंदना करने जैसे आनंद गये थे वैसे सुरादेव गाथापति भी गया । भगवानको वंदना नमस्कार कर धर्मकथा सुन आनंदकी affar as धर्म अंगीकार किया और घर आकर पौषध आदि धर्मक्रिया करने लगा ।
एक समय सुगदेव पैशाला में पापघ कर बैठा था । इतनेही आधी शतके समय एक देवता कमलसी उज्वल विजलीमी चमकती हुई तलवार हाथमें लेकर उसके सामने आ कहने लगा- " हे सुगदेव श्रावक ! अमार्थित मरणको चाहने वाले ! बुरी पर्यायोंके स्वामी ! यदि तू इस तो नहीं तोड़ेगा तो तेरे बेटेको घरसे लाकर तेरे सामने