________________
(१३२) सद्दालपुत्र ! वलवान् , कलावान और चढती वयका जवान पुरुप शूकर, मुरगा, तीतर आदि जानवरेको हाथ पैर, पूंछ, कान जहाँसे पकटेगा वहींसे वे जानवर जीच हो जायगा अर्थात् छूट नहीं सकेगा। वैसे ही महावीर स्वामी जो २ प्रश्न पूछेगे उनका उत्तर मैं नहीं दे सकता । अतः एव में विवाद भी नहीं कर सकता।" सहालपुत्र बोला-" हे देवानुप्रिय । तुमने मेरे धर्मगुरु महावीर स्वामीका गुण कीर्तन किया इस लिये ( धर्मके लिये नहीं )। मैं तुम्हें पाढीआर, पीढ, फलग, शैय्या, संथारा आदिसे निमंत्रण करता हूं। इस लिये मेरी कुम्हारकी दुकानसे उपरकी वस्तुएं लेते हुए विचरो और उपसंपदा लेकर वहां मुखसे विरानो।" ऐसा कहने से गोशाला सदालपुत्रकी दुकानसे उपरकी वस्तुएं लेता हुआ विचरने लगा। परन्तु सदालपुत्र गोशालाके विनीत वचनांसे चलायमान नहीं हुआ। क्षोभित भी नहीं हुआ और न कुछ भी शंकाको प्राप्त हुआ। इससे गोशाला हार कर पोलासपुरमसे निकल कर *जनपद देशमें विहार करने लगा। ____ सद्दालपुत्रको शीलादि व्रत पालते हुए चौदह वर्ष वीत गये । पंदराहवें वर्ष धर्मकी प्रज्ञासि लेकर पैौषधशालामें बैठा था। ऐसे समय मध्य रातमें एक देवता हाथमें कमलसी उजली और बीजलीसी चमकती हुई तलवार लेकर साम्हने आया और चूलणीपियाकी तरह वष्ट देने लगा। एक एक पुत्रके नो नो शूले किये । तीन पुत्रोंको मारा । लोही और मांस सदालपुत्रके उपर छींटा । तथापि सदालपुत्र धर्मसे नहीं
* जनपद-राज्य Kingdom, Country.