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गृहीमें होकर महाशतकके पास गये और उपरकी बात कही। महाशतंकने गौतम स्वामीके वचनंको तहत् कर आलोचना की, प्रतिक्रमण किया और प्रायश्चित लिया। पिछे गौत्तमस्वामी भगवान महावीरके पास आये । वन्दना नमस्कार किया, १७ भेदसे संयम व १२ भेदमे तप करते विचरने लगे। इसके बाद भगवान महावीर जनपद देशमै विहार कर विचरने लगे। ... महाशतकने २०. वर्ष तक श्रावक धर्म पाला। ११ पडिमा
को स्पर्श किया । एक मासकी संलेखना कर अपनी आत्माको शोपा ।साठ भन्त आहारका अणसण किया। पापेकी आलोचना की। समाधिवंत हो, कालके वक्त पर काल कर सुधर्म देवलोकमें अरुणावतंसक विमानमें चार पल्योपमकी स्थितिसे देव हुआ। वहाँसे महाविदेह क्षेत्रमें उपज मोक्ष पावेगा।
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