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पमा
अध्ययन १वा-नंदिनीपिय..
उस काल उस समयमं सारथी नाम नगरी थी। वहां पर कोटक नाम बन था । वहाँका राजा था जीतशत्रु और नंदिनीपिय गाधापति था। ४ कोटि नुवर्ण उसके भूमिम गडाया । चार कोटिसे व्यापार चलताथा और चार कोटिका सामान था। ४ गोकुल (४०००० ) गायांका धनी था। उसकी स्त्रीका नाम था:अम्बिनी। .
उस काल उस समयमें श्रमण भगवान महावीर पंधारे।। उन्हें वन्दना करनेको परिपद गई । नंदिनीपिय गाथापति भी गया | भगवानका उपदेश सुन आनंदकी तरह श्रावकके बारह व्रत अंगीकार कर पीछा लौटा । परिपद् भी पीछी लौटी। इसके बाद श्रमण भगवान महावीर स्वामी जनपद देशमें विहार करते हुए विचरने लगे।
नंदिनीपीय श्रावक धर्म स्वीकार कर जीवदया पालता हुआ विचरने लगा। चौदह वर्ष तक बहुत शीलादि पालें । १५ चे वर्ष बडे पुत्रको घरका काम दिया। धर्मकी उपसंपदा ले २० वर्षकी पर्याय पाली । शुभ ध्यानसे अरुणंग विमानमें देवता होकर उपजा। वहांसे महाविदेह क्षेत्रमें उपज मोक्ष पायेगा।