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उपसर्ग देनेको कोइ देवता आया होगा । उसने आपके व्रत पच्चखाणोंका भंग किया । अतएव यहीं, मन, वचन और काया से आलोचना कर प्रायश्चित्त कर लीजीये"
श्रावकने वहीं आलोचना कर मायश्चित लिया।
चूलशतक अणसण कर सुधर्म देवलोकमें अरुणसिद्ध विमानमें उपजा । वहांपर चार पल्योपमकी स्थिति कर महाविदेह क्षेत्रमें उपज मोक्ष पावेगा.
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अमूल्य पापध व्रतको अंगीकार किये पाद रोजगारके विचारमें गोते खानेवाले को भी 'बहुला' जैसी धर्मज्ञ सुपत्नी मिले तो कैसी अच्छी बात हो ? कि जो भूल बता कर पायश्चित दिलवाके दृढधी बना सके। ।