Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 46
________________ ( १२२ ) ये कह कर अनुक्रमसे तीनों बच्चाको लाकर उसके सामने मार सात सात शूळेकर कढाईमें तला और उनका लोही मांस इसके शरीर पर छींटा । तो भी चूलशतक श्रावक धर्मसे नहीं डिगे । चोथी बार देव बोला- “हे चूलशतक श्रावक ! यदि तू इस व्रतको नहीं छोड़ेगा तो मैं तेरे सारे द्रव्यको अर्थात भूमिमें गड़ी हुई और लगी हुई तथा व्यपार सजावट शोभित १८ ही करोड सुवर्णकी लक्ष्मीको आलमका नगरीकी गली २ में विखेर दूंगा । अतः एव तु आर्त - रौद्र ध्यानमें मर जायगा " । इस प्रकार उसने तीन दफा कहा । इतनेमें चूलशतक मनमें सोचने लगा कि " यह पुरुष महा अनार्य मतिका धनी है । इसने मेरे तीनों बच्चाको तो मेरे सामने मारा और उनका लोही मांस तल मेरे शरीर पे छींटा तथा अब मेरी सारी लक्ष्मीको आलंभिका नगरीमें बिखेर देने का कह रहा है । यह ठीक नहीं। पकडूं इस दुष्टको ।" ये सोच कर जो पकडनेको चला तो देवता आकाशमें उड गया और चलशतक थंभा पकड कर कोलाहल करने लगा । हा हृ सुन कर उसकी स्त्री उसके पास आई और कहने लगी कि " अभी आपने जोरसे हा हृ कैसे की ?" । चलशतकने कहाः “ जाने कोई आदमी आया और उसने मेरे तीनों बच्चाको मेरे सामने मार कढाईमें तला और उसने उनके खूनसे मेरे शरीरको छींटा | ( सारा हाल सुरादेवकी तरह जानना ।) फिर मेरी सारी संपत्ति आलंभिका नगरीमें बिखेर देनेका कहा; अतः एव उस दुष्टको मैं पकडने गया तो उसने आकाश मार्गसे चल दिया और मैं इस थंभे से लिपट पडा" । # बहुला. बोली:--' अपने तीने बालक मौजूद हैं । तुम्हें

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