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बाकीका पच्चखाण. (५) समुद्र में जहाज चले उसका परिमाण - देशान्तर जानेके लिये बडे जहाज के साथ ४ छोटी नावों के सिवाय के पच्चखाण | एक करण और तीन योगसे यानी मन, वचन, कायसे पांचवें व्रत के पञ्चखाण ।
छडा व्रत.
इस व्रतमें चारों दिशाओं के कोसाका परिमाण किया जाना है। पांचवे व्रत में खेतवथ्थुका परिमाण किया है, उसीसे समझ पडता है, सूत्र पाटमें इसका कुछ खुलासा नहीं किया । सातवां व्रत.
रोज भोग आनेवाली चीजों का परिमाण - मर्यादा :- (१) उलणियाविहं - गंध साडी यानी लाल साडी एक वाकीके शरीर के पढेका पञ्चखाण (२) दंतणविहं - जेठी मकी लकडीके दातुनको छोड कर वाकीके वृक्षोंकी लकडीके पच्चखाण. (३) फळविहं - गुठली रहित खीरकी तरह मीठे ऐसे खीर आंवलोंको छोडकर और और फलोंके पच्चखाण. (४) अभंगणविहं - शतपाक और सहस्रपाक तेलको छोडकर और और तेलके शरीर में मलने के पच्चखाण. ( ५ ) उवविहं गेहके आटे से मिला हुआ सुगंधित उबटनको छोड कर बाकी उबटनके पचखाण. (६) मझणविहं - आठ वढे वडे पानी को छोडकर निजके काममें आनेवाले पानी के पञ्चखाण. ( ७ ) वत्थविहं रुई के दो कपडे के सिवाय बाकी के वस्त्र के पच्चखाण. (८) विलेवणविहं- अगर, केशर, चंदनादिको छोड़ कर लेपके पच्चखाण. ( ९ ) पुष्कविहं- सफेद कमल, जाई, मालती आदिके फूलों की मालाके
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