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बुरी पर्यायोंके धनी ! हीन चादस - पूनम के जन्मे । लज्जाशोभा - धैर्य कीर्ति रहित । यदि तू इस व्रतको न तोडेगा तो तेरे बढे बेटेको तेरे घरमेंसे लाकर इस तरवार से तेरी समक्ष ही कादूंगा और उसके मांसका कवाब तल तल कर तेरे शरीरपर उसके (रक्तमांस छांदूंगा । अतः एव तु तीव्र वेदना पाकर आर्तध्यान तथा रौद्रध्यानसे करके अकालमै मरेगा " | परन्तु इससे चुलणीपिया न तो डरा और न धर्मसे चलायमान · हुआ । अतः एव वह देव अति क्रोधायमान होता भया । उसने श्रावक के बडे बेटेको लाकर उसके साम्हने काटा | उसके तीन सूलें किये | कढाइ तलें और उसका लोही मांस श्रावकके उपर छींट दिया। इससे श्रावकको तीव्र वेदना हुइ; परन्तु वे डरा नहीं, न दुःखी हुआ और न धर्मसे विचलित हुआ; 'प्रत्युत चुपचाप रहा | धर्मध्यान में लीन बना । इससे देवने चुलणीपिया के विचले लडके का भी यह हाल किया। और छोटे लडके का भी । तथापि श्रावक तो अपने धर्मध्यानमें लगा रहा । अखिर में देवने कहा कि 'अब मैं तेरी मां भद्राकी भी यही -गति करूंगा'। तो भी श्रावक नहीं डरा । देवने दुबारा कहा 'तो भी श्रावक दृढ रहा; परन्तु जब तीसरी बार माता भद्रा के 'वारेमें कहा तो श्रावक चुलणीपिया मनमें सोचने लगा कि "इस पुरुषकी बुद्धि बडी अनार्य है । इसने मेरे तीनों लडकेको मार डाला और मेरी माताको भी मेरे सामने मारनेका कह रहा है । जो माता देवगुरु समान है, जीने मुझे गर्भ में रखकर पालन किया है, उस माताको मेरे सामने कटती देखें, यह मेरे लिये ठीक नहीं है। अच्छा, इस दुष्टको अभी पकहूं "। ऐसा विचार कर चुलणीपिया मन, वचन और
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