Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 8
________________ तीसरा व्रत. . · यावज्जीवन दो करण और तीन योगसे अदत्त दान लेने के (विनादीहुई चीज लेने के, चोरी करनेके) पच्चखाण । चौथा व्रत. अपनी स्वीसे संतुष्ट रहनेकी पर्यादा करे सो । एक शिवनन्दा भार्याको छोडकर दूसरी स्त्रियांसे मैथुन करने के पर्चखाण । पांचवा व्रत. परिग्रहमा परिमाण करे (१) घडा हुआ और वे घडा हुआ उसका परिमाणः-चार सुवर्ण कोटि जमीनमें गडा हुआ, चार सुवर्ण कोटि व्याजपर दिया हुआ और चार हिरण कोटिकी घरकी सजावट । बासी सब सोने चांदीकी विधियोंके पञ्चखाण. (२) चौपाये जानवरोंका परिमाणः-दस हजार गायका १ ब्रज (गोकुल ) ऐसे ४ बजेको छोडकर बाकीके पशुओका पञ्चखाण. (३) खेतवथ्थु यानी खुली और ढंकी जमीनका परिमाण-पांचसो हलसे ज्यादा जमीनका पञ्चखाण (१०० निवर्तनका एक हल या ढाई कोस और पांचसो हलके १२५० कोस हुए)* (४) गाडी और बैलका परिमाणलकडी, घाम, और अन्नादि लाने के लिये ५०० गाडे बहुत ___ *संवत् १८४५ की लिखी हुई प्रतिके टव्य में लिखा है-णियतगे-निवर्तन. मगध देश प्रसिद्ध भूमिकाका परिमाण विशेष १०० णियत्तगका १ हल ऐसे पांचसो हलका एक क्षेत्रवथ्थु (दूसरा अर्थ ) दस हाथका एक बांस, बीस बांसका एक नियतन, १०० नियतनका एक हल ऐसे पांचसो हलकी जमीनका परिमाण (इस कोप्टकके मुआफिक एक हलके २०००० हाथ हुए और ८००० हाथका एक कोस इस हिसाबसे एक हलके २॥ कोस हुए और ५०० हलके १२५० कोस ).Page Navigation
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