Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 6
________________ प्रेमसे चाहते थे । वाणिज्य नगरके वाहिर ईशान कोनमें दूतीपलाश नामक उद्यान था और कोलाग नामका *सन्निवेश था। वहांपर आनन्दके इष्ट मित्र, परिजन, स्वजन, व्यापारी आदि बहुतसे मनुष्य रहतेथे । ये भी सव दौलतमन्द थे । एक समय श्रमण भगवान श्री महावीर दुतिपलाश उद्यानमें पधारे । उव्वाई सूत्रों जैसे कुरणीक राजा वन्दना करनेको चला था वैसे ही इस वक्त जितशत्रु राजा वन्दना करनेको चला ।आनन्द गाथापतिने सुना कि भगवानको वन्दना करनेका महा फल है इस लिये मैं भी जाउं । ऐसा संकल्प होते ही स्नान कर. कीमती परन्तु वजनमें हलके ऐसे वस्त्राभूषण पहन घरसे बाहर निकला । सकोरंट नामके वृक्षके फूलांकी माला पहन छत्र माथे धार कर बहुतसे मनुष्योंके समुदायके साथ वाणिज्य ग्रामके बीचेांचीच हो दुतिपलाश उद्यानमें जहां भगवान महावीर विराजेथे वहां आया । दहनी ओरसे तीन प्रदक्षिणा की । बन्दना कर बैठ गया। श्री महावीर स्वामीने आनन्द गाथापति और परिषद्को * धर्मका कही । उसे सून परिषद् व राजा. पीछे लौटे। आनन्द गाथापतिने उसे सुन विचारा, हियेमें रक्खा। हर्ष-संतोष पाया । और भगवान महावीरसे सविनय कहने लगा : हे भगवन् ! यह सिद्धान्त वचन सच्चा और सन्देह रहित है इस लिये मुझे रुचा है। हे देव. * ' सनिवेश':= शहरके पासका मैदान जहां मनुष्य खेल कूदके लिये जाते है. * धर्म दो तरहका है:-आगार -धर्म १ व अणगार धर्म २. अर्थात् १ ला गृहस्थका-श्रावकका व २ रा साधुका-त्यागीका.Page Navigation
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