Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 4
________________ प्रवेशिका. उस काल, उस समय में ( अवसर्पिणीके चौथे आरेमें ) चंपा नगरी थी. ( इसका वर्णन उब्वाई सूत्र से जान पडेगा. ) इस नगरी के वाहिर ईशान कोनमें नन्दनवन समान उद्यान था. इसमें पूर्णभद्र यक्षका देहरा था. इस उद्यानमें श्री महावीर प्रभुके शिष्य आर्य सुधर्म स्वामी पधारे। उन्हें वन्दना कर उनके शिष्य जम्बूस्वामीने पूछा: हे पूज्य ! श्रमण भगवान : श्री महावीर स्वामी' जो मोक्षको प्राप्त हो गये हैं उन्होंने सप्तम अंग जो उपासक दशांग मूत्र उसके अर्थ किस तरह प्ररुपित किये हैं ? कृपा कर फरमायगे ? आर्य सुधर्म स्वामीने इस प्रार्थनाको स्वीकार की और श्री उपासक दशांग मूत्र दश अंग इस प्रकार फरमाने लगे.

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