Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Churni
Author(s): Sthaviracharya, Rupendrakumar Pagariya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 35
________________ ___Jain Education International 2010_04 बंधि० ण बंधि० तए/ चउत्थे बंधति | बंधेस्सति केवली | ण बंधति | पं.पं.खय. | एते | बंधी | बंधति | बंधेस्सति| उवसामतो | ण बंधति | बंध० | बंधे० बंधति | बंधेस्सति | सेलेसि | ण बंधति | पं.ण.सुण्णो गहणा- | बंधी | बंधति |ण बंधेस्सति खवगो | ण बंधति बंध० | ण बंधे बंधी | बंधति | बंधेस्सति उवसा० ण बंधति | ण च भवितो | गरिसा | बंधी |ण बंधति | बंधेस्सति | उवसामतो | ण बंधति ण बंध० बंधी | बंधति | बंधिस्सति सेलेसि | ण बंधति |ण.ण.अभवितो | बंधी |ण बंधति ण बंधेस्सति सेलेसि | ण बंधति ण बंध० उवसा० भवागरिस | पढमे | बितीए | ततिए | चउत्थे | पंचमे छ ख० स०भ० | अट्ठमे। बितिए । ततिए | केवली | उवसामग| खवग | उवसा० सिद्ध । उव० असिज्झ- केवलि केवलि | उव० । सिद्ध |भवियो माणो उवसा० सेलेसि पढमे अभवियो खवग० For Private & Personal Use Only पं० __छ० स० | अट्ठ अहक्खा अहक्खाय THER पंचमे | छठे | सत्तमेत्त | अट्टमे | इरियावह पढमे संपराय बितितो ततितो | चउत्थे उवसाम० सुण्णं० | कालमति अमोखी | बंधी | उवसामगो | बंधी खवगो उवसामतो अहक्खातो खवग उवसामग गहणाभवितो | गतो | खवगो खवगो यसपत्तो संपरातो से वा दो वरि वट्टमाणा www.jainelibrary.org भगवतीचूर्णिः

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