Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Churni Author(s): Sthaviracharya, Rupendrakumar Pagariya Publisher: L D Indology AhmedabadPage 67
________________ ५६ भगवतीचूर्णि: जीवादीया तस्स जीवा संपुण्णा णत्थि । एगो पदेसो त्ति कटु एवमजीवा वि रूविणो संति एगपदेसे वि तट्ठाण चउव्विहा वि, खंधादिणो तेत्थ सुहुमा सव्वलोयवत्तिणो पुढवि आउ-तेउ-वाउ-वणस्सतीण । बातरा लोगणालीए अंतो, तत्थ य लन्भंति । आगरिस विग्गहगति विसेसाओ तहाणिंदिया कवाडसमुग्धातत्थ तत्थ जे जीवदेसा ते णियमा एगिदियाणं तेसु दंतएसु, एस सव्वत्थचुतभंगो । अहवा एते य बेइंदियस्स य देसो एग दंतयवत्ती आकारिससमुग्घातगतस्स तस्स वा बहुदंतयवंतिणो वा देसा बेइंदियाणं वा बहूणं णियमा देसा एगम्मि वि दंतये पविट्ठा किमुत बहुसु । एवं जाव पंचिंदिया । अणिदिएसु एगदेसो णत्थि । णियमा कवाडं करेंतो वित्थारो बहुदेस णिप्फंदेति । तेण एगम्मि वि बहुदेसता । तहा बहुसु बहुं चेव । एगेंदियाणं णत्थि । सो य पढम भंगो । एगिदियाण बहुत्त भंगो ण गणिज्जति । सव्वत्थ संभवातो तत्थ देसे एगेंदिय देसा एगिदियदेसा य बेतिंदिय देसे य एगिंदिय देसा य बेइंदियस्स देसा । एगेंदिय देसा य बेइंदियाण देसा । एवं बे० ते० चतु० पंच० अणिंदियस्स । पढम वजा दो, एगिदिय देसा य अणिंदियाण देसा य । एगेंदिय देसा य अणिंदियाण देसा। एते भंगा जीवदेसेण पदेसे भण्णति । जत्थ एगो पदेसो जीवस्स तत्थ णियमा असंखेजा । सरीरसंवत्तणा संवत्तितस्स सव्वसमुग्घातगतं मोत्तुं तेणेंगिदियाण पदेसा तहा एगिदियस्स वि । एगदेसे वि बहूपदेसा तहा बहूणं पि बेइंदियाणं । एव जाव पंचिंदियाणं । एगवयणं णत्थि सव्वत्थाणिं-दियंताणं । जे अजीवा ते दुविहा । रूवी अरूवी य । ४ अत्थि अरूवित्थ । धम्मादयो संपुण्णा। पुव चरिमंते ण संति देसा पदेसा य संति । कालो णत्थि तेणत्थ । जहा पुवादिसीतट्ठा सव्वतो लोयचरिमंत एगदेसागासादिचरिमदेसातो चत्तारि । लोयस्स णं भंते ! उवरि चरिमंते उवरि चरिमंत एगयतरं सदंतगं मग्गिजति । तत्थेगिंदिया अणिंदिया य संति । तेसिं देसपदेस बहुता सव्वभंगादी । जे जीवदेसा ते णियमा एगिइदय देसा य अणिंदिय देसा य । अहवा एगेंदिय देसा अणिंदिय देसा । बेइंदियस्स य देसे । अहवा एगेंदिय देसा अणिंदिय देसा । बेइंदियाण पदेसा । एत्तेगेतरसामत्थातो एग बेइंदिए बहवो देसा ण संति । जति वि दंतया तस्स तहा वि एक्को चेव पतरो । अहवा तारिसो आकरिसो णत्थि । तेण भंग मज्झ भंग विरहितो । एवं जाव पंचिंदिया पदेसेहिं वि एवमेव, णवरं एग बेइंदिए वि बहू पदेसा तेणादी एकवयणं णत्थि ||५|| अहवा छव्विह छ णवरं धम्मत्थिकायदेसो एक्को चेव सेतरो पदेसो तस्स बहू संति । तेण कत्तयोदत्तिया एवमधम्माकासा वि । एवं तमतमातो। आगासंतरउगाहित्ता हेट्ठिम चरिम एगतमतरतम्मि । जीवा एगिंदिय देसा । बेइंदियस्स देसे देसा णत्थि एगपतरत्तातो बहूणं देसा संति । तहा चेव पं. अणिंदियस्स देसो देसा णत्थि, बहूणं देसा । एवं मज्झिम जवबहुत्तं मोत्तव्वं । पदेसेहिं एगेंदिय देसा अहवा एगेंदिय देसा य Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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