Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ तेरहवाँ अध्ययन : सूत्र 701-7 साधु दे नहीं सकेगा, (5) परिचर्या योग्य वस्तुओं का भी मूल्य चाहे, (6) अपरिग्रही साधु को उसके प्रबन्ध के लिए गृहस्थ से याचना करनी पड़ेगी, (7) अग्निकाय, वायुकाय, अप्काय एवं वनस्पतिकाय आदि के जीवों की विराधना सम्भव है / (8) साधु के प्रति अवज्ञा और अश्रद्धा पैदा होना सम्भव है।' _आमज्जेज्ज, पमज्जेज्ज आदि पदों का अर्थ- एक बार पोंछे बार-बार पोंछकर साफ करे / संबाधेज्ज = दबाए, पगचंपी करे, मसले / पलिमद्देज्ज = विशेष रूप से पैर दबाए। फमेज्ज = फंक मारे, इसके बदले फुसेज्ज पाठान्तर होने में अर्थ होता है-स्पर्श करे / रएज्ज - रंगे। मखेज्ज = चुपड़े, भिलिगेज्ज =मालिश-मर्दन करे। उल्लोढेज्ज = उबटन करे, उव्वलेज्ज = लेपन करे / काय-परिकर्म-परक्रिया-निषेध 701. से से परो कायं आमज्जेज्ज वा पमज्जेज्ज वा, णो तं सातिए णो तं णियमे / 702. से से परो कार्य संबाधेज्ज वा पलिमद्देज्ज वा, जो तं सातिए णो तं णियमे / 703. से से परो कार्य तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा मक्खेज्ज वा अब्भंगेज्ज वा, जो तं सातिए जो तं नियमे। 704. से से परो कायं लोद्धण वा कक्केण वा चुण्णण वा वणेण वा उल्लोलेज्ज वा उव्वलेज्ज वा, णो त सातिए णो तं नियमे। 705. से से परो कार्य सीतोदवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज्ज वा पधोवेज्ज वा, जो तं सातिए णो तं णियमे / 706. से से परो कार्य अण्णतरेणं विलेवणजाएणं आलिंपेज्ज वा विलिपेज्ज वा, णो तं सातिए णो तं नियमे। 707. से से परो] कार्य अण्णतरेण धूवणजाएण धूवेज्ज वा पधूवेज्ज वा, णो तं सातिए णो तं नियमे। (से से परो कायं फुमेज्ज वा रएज्ज वा, णो तं सातिए णो तं णियमे / 701. यदि कोई गृहस्थ मुनि के शरीर को एक बार या बार-बार पोंछकर साफ करे तो साधु उसे मन से भी न चाहे, न वचन और काया से कराए। 702. यदि कोई गृहस्थ मुनि के शरीर को एक बार या बार-बार दबाए तथा विशेष रूप में मर्दन करे, तो साधु उसे मन में भी न चाहे और न वचन और काया से कराए। 1. आचारांग वृत्ति पत्रांक 416 के आधार पर 2. (क) वही, पत्रांक 416 (ख) आचारांग चणि मू० पा० टिप्पण प० 250.051 3. लोण के बदले पाठान्तर हैं-लोट्ठण, लोह्रण, लोण, लोहेण आदि / 4. 'पधोवेज्ज' के बदले 'पहोएज्ज' पाठान्तर है / 5. धूवेज्ज पधूवेज' के बदले 'धुवेज्ज पधूवेज्ज' पाठान्तर है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org