Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text ________________ आचारांग सूत्र-द्वितीय श्रतस्कन्ध संक्षिप्त संकेतित सूत्र समग्र पाठ युक्त मूल सूत्र-संख्या 521 121 325 325, 326, 406, 456 612-617 774 607 737 176 6.0G. NO 566, 651, 654, 774 457 772 जाव-पद ग्राह्य पाठ उवज्झाएण वा जाव उसिणोदवियडेण वा जाव एगवयणं वदेज्जा जाव एसणिज्ज""जाव ओगिण्हेज्जा वा 2 ओवयंतेहि य जात्र कक्खडाणि वा 8 कंदाणि वा 'जाव कसिणे जाव कामं खलु जाव काएण जाब किण्हे ति वा 5 कुट्ठी ति वा जाव कुलियसि वा 8 जाव खंधसि वा 6 गंड वा जाव गच्छेज्जा जाब मामे वा जाव गामं वा..."जाव 788 776 533 176 176 577 715-716 224, 336 717-720 584, 585 502, 513 342, 361, 412, 465, 637 342, 361, 465 गामंसि वा जाव गामस्स वा.."जाव गाहावती वा जाव 360, 361, 422. 435, 446, 556, 564, 618 327 325, 346 484, 622 444 513 गाहावति वा जाव गाहावतिकुल जाव पविसित्त(तु)कामे गाहावति जाव छत्तए(ग) जाव जवसाणि जाव जाव अण्णोष्णसमाहीए जाव उदयपसूयाई जाव गमणाए जाव दूइज्जेज्जा जाव पडिगाहेज्जा जाव मक्कडासंताण 417 637, 641 472, 473 471 505 335, 406 326, 406, 556, 564 637, 641, 642, 646 647, 653, 667 653 जाब मक्कडासताण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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