Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text ________________ परिशिष्ट : 1 [विशिष्ट शब्द-सूची] सूत्र शब्द सूत्र 402 366, 405, 606 385, 415, 556, 650 348 440 745 351, 360 746, 747, 746 421-425, 428, 426, 433, 434, 446, 456, 633, 766 542 360 शब्द संघाडी 553 संबलि संजम 770 . संभोइय संजय 324, 338, 340 इत्यादि संमट्ट संणिक्खित्त 511 संमेल संगिचय 335, 337 संरंभ संणिवात 737 संलेहणा संणिवेस 338, 675, 734, 735, संलोय 753, 766 संवच्छर संणिहिय 511 संवर संणिहिसंणिचय 335, 337 संवस संताणय(ग) 324, 348, 353, 412, 431, 455, 458, 464, 467, 468, 566-571, संवहण 575, 623-628, 667, संवुड 641, 642, 646, 647, संवेदेउं 653, 667 संसत्त संतारिम 474, 482,463-465 संसेइम संति 787, 760 संसेसिय संतिकम्मत 435 सकसाय संतिय 568, 596 सकिरिय संथड 345, 356 सक्क (शक) संथर 338, 416, 460, 471. सक्क (शक्य) 472 सक्कर संथार 440, 443 सगड संथारग 338, 416, 455, 456, सचक्क 460, 465, 466, 610 सचित्त संधि 360 सच्चा संपधूविय 415, 556, 650 सच्चामोसा संपदा 747 सड्ढा संपन्न 792 सड्ढी संपराइय 425 सणवण संपातिम 345, 475 सणिय संपिडिय 516, 517, 585, 586 सण्ण संफास 341, 350, 352, 357, 362, सणि 364-366, 396-401, 407, सत्त (सत्व) 498,583 संबंधिवम्ग 740, 770 324, 787 366 660 371 524, 526, 778 756, 766,767 760 353 500, 685 500 728 522, 524, 525 522, 524 360, 406, 435-441 425 754, 766 766 331, 332, 365, 413, 414, 416, 444, 505, 563, 728, 778 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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