Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 917
________________ 464 आचारांग सूत्र-द्वितीय श्रू तस्कन्ध 672 385 776 387 शब्द सूत्र शब्द विमोक्ख 803 वीर 752 बियड 360, 416, 421, 452, 565, बीस 734 573, 666, 705, 712, 716 वीहि 655 वियत्ताए पोरुसीए 766, 772 वेउध्विय 754 वियत्त मणसाणं 769 वेग वियारभूमि 328, 344, 345, 465, 466 वेजयंतिय 564 वियाल 340, 354, 430, 444, वेढिम 686, 754 456, 515 वेणुसद्द वियावत्तस्स 772 वेत्तम्गग विरस 401 वेयणा 728 विराल 354 वेरज्ज 472, 683 विरुद्धरज्ज 472, 683 वेरमण विरूवरूव 337, 406, 428, 426, बेलुग 440, 471, 484,500, वेलोतिय 545 512, 541, 542, 557, वेसभण 750, 766 562. 563, 666-674 वेसमणकुंडलधरा 750 685, 686, 686 वेसाहसुद्ध 772 विलेवणजा(त)य 667, 706 वेसिय 341 विल्लसरडुय 376 देसियकुल 336 विवग्ध 558 बेहाणसट्ठाण 658 विवण्ण 401, 584 वेहिय 545 विवेग 520 वोज्झ 754 विवेगभासी 551 बोसट्ठकाए 638, 770 विसभक्खणदाण 658 संकम 365, 515, 516 विसम 338, 355, 460, 462, 656 संकुलि विसय 760 संख 562, 740, 764 विसूइया 421 संखडि 368, 640, 341, 342,348 विह 473, 516, 585, 689 संखडिपडिया 338, 340, 342, 348 विहग 754 संखसद्द विहार 462, 471, 472, 770, 772 संखाए 340 विहारभूमि 328, 344, 345, 465, संखोभितपुव्व 342 466 संगतिय 564 विहारवत्तिया 471-473 संगामगय 764 विहीय 765 संघट्ट 342, 365 विहुवण 368 संघयण 540, 553 वीणासह 670 संघस वीतिक्क (क)त 468, 523, 772 संघातिम 686,754 672 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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