Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 901
________________ 448 आचारांग सूत्र-द्वितीय श्रू तस्कन्ध शब्द जंतलट्ठी सूत्र 752, 755, 758 747 जंतु सूत्र शब्द 543 जिणवर 793 जिणवरिद 456 जिब्भा 734, 753 जीय 772 जीव 760 जंतुय जंबुद्दीव जभियगाम जक्खमह जग 331, 332, 353, 365, 413, 752 जण जणग जणवय जन्नुवायपडिते जरमरण जल जलचर जलथलमंदिव्बकुसुमेहि जल्ल जव जवजव जबस जवोदग जस 681 जससे 728, 745, 752, 773, 774. 357, 502, 765 778, 790 526, 528 जीवणिकाय 745 471, 472 जीहा 760 766 जुगमायं 466 755 जुगल 754 474, 475, 463 जुगव 505, 510, 536, 540 जुण्णतयं 801 755 जुति 753 721 जुत्त 758 655 जुवंगव 655 जुवराय 472 500, 502, 512 ज्य 724 370 जूहियाण 797 जेठ 744 744 जोग 734-737, 746, 754,766, 772 534 जोग्गे 541, 543 425 जोतिणा 800 744 जोतिसिय 737, 736, 753, 774 744 जोयण 470 407 झत्ति 753 543, 753, 754 झल्लरि 764 435 झल्लरीसद्द 666 435 झाणकोट्ठोवगत 772 772 झामथंडिल 324, 253, 404, 576, 667 381,733, 773 झिज्झिरिपलब 377 544 झुसिर 672, 765 517 टाल 734, 735 ठितिक्खय 734, 745 777, 780,783 डमर 683 410, 773, 768 डहर जसंसी जसस्सि जसवती जसोया जहाठित जाणा-यान) जाणगिह जाणसाला जाणु 545 जात जातिमंत जायणा जालंधरायणसगोत जावज्जीव जिण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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