Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 06
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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67. मृत्यु कला के सम्यग्वेत्ता
दुविहं पि विइत्ताणं, बुद्धा धम्मस्स पारगा । अनुपुव्वीइ संखाए, आरम्भा य तिउट्टई ॥
धर्म के सम्यग्वेत्ता प्रबुद्ध साधक बाह्य और आभ्यन्तर तप का आचरण करके अथवा पंडित और अपण्डित द्विविध मरणों समझ कर यथाक्रम से संयम का पालन करते हुए मृत्यु के समय को जान कर शरीर पोषण रूप आरम्भों से मुक्त होते हैं । 68. धर्मवेत्ता
70.
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 130] आचारांग - 1/8/8/17
बुद्धा धम्मस्स पारगा ।
प्रबुद्ध पुरुष धर्म के पारगामी होते हैं ।
69. जीवन-मृत्यु में अनासक्त
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श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 130] आचारांग 1/88/7
दुहतो वि ण सज्जेज्जा जीविते मरणे तहा । श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 6 पृ. 130] आचारांग साधक जीवन और मृत्यु दोनों में ही आसक्त न हो । अध्यात्म-अन्वेषण
1/8/8.
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अंतो बहिं विउस्सिज्ज अज्झत्थसुद्धसए ।
श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [ भाग 6 पृ. 131 ] आचारांग बाह्याभ्यन्तर ममत्व का विसर्जन कर साधक विशुद्ध अध्यात्म का
1/8/8/20
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अनुसंधान करें ।
71. भिक्षु कैसा हो ?
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मज्झत्थो निज्जरापेही समाहिमणुपालए ।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6 • 73