Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 06
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora

Previous | Next

Page 241
________________ सूक्ति 396. 424. 426. 427. 428. 477. 439. मुक्ति का अश गुत्ताणं निव्वि । वय विभत्तिअकुसलो । ववहारोऽपि हु बलवं । ववहारो विह बलवं । ववहार सुद्धि धम्मस्स । वरं मे अप्पा दंतो । वा वायणाएणं निज्जरं जणयइ । 16. 191. 324. 327. 341. 381. 405. 408. 449. 452. विद्यया राजपूज्यः स्यात् । 459. विणए ठविज्ज अप्पाणं । 499. वित्ते अचोइए निच्वं । 515. विणयं पि जो उवाएणं । 528. विवत्ती अविणीअस्स । 530. 537. 549. 552. विसएसणं झियायंति । वियाणिया दुक्ख विद्धणं धणं । विमुता हु ते जणा जे । विणा वि लोभं निक्खम । विहं पप्पखेयन्ने । वि वितिगिच्छं समावन्नेणं । विरतो पण जो जाणं । विमुभे इमं लोणं । विणओ गुणाण मूलं । अभिधान राजेन्द्र कोष म 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 759 891 934 934 935 1162 विआणिआ अप्पगमप्पएणं । विनयेन विना न स्यात् । विभज्यवायं च वियागरेज्जा | वियागरेज्जा समयासुपन्ने । अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6 • 233 1088 46 301 727 727 731 745 872 887 1144 1148 1159 1167 1171 1173 1174 1176 1180 1180

Loading...

Page Navigation
1 ... 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312