Book Title: Aatmshakti Ka Stroat Samayik
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 6
________________ और सुख का उत्स है, अतः उसे पाने के लिए आत्मा को, आत्मा में ही रमण करना होगा। आत्म-रमण की प्रक्रिया है-सामायिक । ___ सामायिक से व्यावहारिक जीवन में भी शान्ति, प्रसन्नता और प्रफुल्लता का संचार होता है, आध्यात्मिक जीवन में तो वह परम शान्ति का स्रोत ही है। ___ मैंने संक्षेप में परन्तु अपनी स्वतंत्र नई दृष्टि से सामायिक के व्यावहारिक तथा आत्मिक लाभों पर चिन्तन किया है । आशा है, पाठकों को रुचिकर लगेगा। उपाचार्य देवेन्द्र मुनि

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