Book Title: Aatmshakti Ka Stroat Samayik
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 23
________________ जाऊँ ? कोई एक्सीडेंट न हो जाय आदि अनेक प्रकार की चिन्ताएँ हैं । हमारे एक परिचित सज्जन थे । दुपहर का भोजन करके आराम के लिए लेटे थे । जब लेटे तब तक प्रसन्न थे, सब से बतियाते थे, हंसी मजाक भी चल रही थी । लेटने के लिए बिस्तर पर गये, फोन की घंटी बजी टन....टन... दुकान का फोन था । मोहन बड़ा लड़का बम्बई गया सो अब तक लौटा नहीं, साथ में दो लाख कैश भी था । सोना भी था.........बस सेठजी फोन सुनते ही उदास हो गये, "क्या हुआ, लड़का अब तक क्यों नहीं आया, बम्बई में कुछ हो तो नहीं गया ? होटल में ठहरता है, होटल में कुछ दिन पहले ही एक व्यक्ति को लूटकर उसकी लाश समुद्र में फैंक दी थी । (२१)

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