Book Title: Aatmshakti Ka Stroat Samayik
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 22
________________ अपने भविष्य अथवा भावी को स्पष्ट रूप से न तो देख सकता है, न जान पाता है । इसी कारण भविष्य के प्रति उसके मन में अनेक प्रकार की आशंका-कुशंकाएँ उपजती रहती हैं, वह उनसे घिरा रहता है। ___आशंकाएँ अनेक प्रकार की हो सकती हैं-अर्थ (धन) सम्बन्धी, धन के उपार्जन सम्बन्धी और यदि धन का उपार्जन अधिक हो गया है तो उसके रक्षण सम्बन्धी-कहीं कोई चोर चुरा न ले जाये, किसी प्रकार यह धन नष्ट न हो जाय । ___ व्यापार संबंधी, परिवार संबंधी-पुत्री का विवाह कैसे होगा, पुत्र की संगति बिगड़ न जाय, वह मेरे व्यापार को संभाल भी सकेगा या नहीं ? आदि । यहाँ तक कि अपने शरीर संबंधी चिन्ता भी मनुष्य को सताती रहती है-कहीं मैं बीमार न पड़ (२०)

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