Book Title: Aatmshakti Ka Stroat Samayik
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

View full book text
Previous | Next

Page 43
________________ अब इस पर भी चिन्तन अपेक्षित है कि समत्व की प्राप्ति कैसे होती है ? उसकी विधि क्या है ? साधना का क्रम किस प्रकार है ? समत्व की साधना समत्व की साधना-प्रक्रिया हैसामायिक । यह जैन धर्म का विशिष्ट शब्द है । इस साधना में मन-मस्तिष्क की वृत्तियों का मार्गान्तरीकरण किया जाता है। जो वृत्तियाँ बहिर्मुखी हो रही हैं, उन्हें अन्तर्मखी बनाकर अपनी आत्मा में स्थित किया जाता है। समस्त पापकारी प्रवृत्तियों के त्याग का नाम है सामायिक । कषायों, आवेगों, उत्तेजनाओं के निरसन को सामायिक कहा गया है । मन की चंचलता को सामायिक स्थिरता प्रदान करती है, और साधक शांति (४१)

Loading...

Page Navigation
1 ... 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68