Book Title: Aatmshakti Ka Stroat Samayik
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 42
________________ दिमाग से वह बातें भी करने लगता है । इस प्रकार की घटनाएँ उस व्यापारी के राग-द्वेष की अल्पता तथा मन-मस्तिष्क की स्थिरता का नमूना कही जा सकती हैं। इस तरह की मानसिक शांति और स्थिरता भ. महावीर द्वारा बताई गई समता की साधना से प्राप्त की जा सकती है । ऐसी . समता जो द्वन्द्वातीत हो, तनाव, चिन्ता, आशंका-कुशंका, उद्विग्नता, उत्तेजना आदि का जिसमें प्रवेश न हो सके । अब तक हमने समत्व के व्यावहारिक रूप का विवेचन किया है। यह बताया है कि सुख-दुःख में तितिक्षा, भूत-भविष्य के भार व चिन्ताओं से मुक्ति, तनावों और द्वन्द्वों तथा संघर्ष एवं उलझनों के सुलझाव में मानसिक स्थिरता तथा शांति । ये सभी समत्व के जीवन-व्यवहार में प्रयोग से उपलब्ध किये जा सकते हैं। (४०)

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