Book Title: Aatmshakti Ka Stroat Samayik
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ प्राथमिक मनुष्य स्वभावतः शान्तिप्रिय है । शान्ति चाहता है, मन की, तन की, परिवार की । हर प्रकार. से वह शान्ति और सुख की कामना करता है, परन्तु व्यवहार में वह आज भी अशान्ति और कष्ट से घिरा हुआ है । शान्ति की खोज में वह अशान्ति के दलदल में फंस जाता है । कारण एक ही है कि जिन साधनों से वह शान्ति प्राप्त करना चाहता है, वे साधन, धन, पद, सत्ता आदि स्वयं अशान्ति के ही स्रोत हैं । अशान्ति के साधनों से शान्ति दुर्लभ ही नहीं, असंभव ____ शान्ति आत्मा की एक स्थिति है, मन की एक वृत्ति है । आत्मा के भीतर ही शान्ति (३)

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 68