Book Title: Aatmshakti Ka Stroat Samayik
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 15
________________ संघर्ष का कारण है विषमता । यद्यपि संसार भर में मानव समाज की स्थिति ही ऐसी है कि उसमें ऊँच, नीच, उच्च वर्ग, निम्न वर्ग, मध्यम वर्ग आदि अनेक श्रेणियाँ हैं । इनमें अपने-अपने हितों के लिए संघर्ष चलता ही रहता है । फिर भी जो व्यक्ति इन परिस्थितियों में मानसिक सन्तुलन स्थिर रख सकेगा, उसका जीवन अशान्त नहीं बनेगा । वह सुखी रहेगा । सुखी जीवन की कला है - समत्व । समता-साधक के समक्ष भी विपरीत परिस्थितियाँ आती हैं; लेकिन वह अपना मानसिक सन्तुलन नहीं खोता, आवेशों के प्रवाह में नहीं बहता, शांत और स्थिर चित्त से उन परिस्थितियों का समाधान खोजता है और बहुत अंशों में सफल भी होता है । (१३)

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