Book Title: Aao Sanskrit Sikhe Part 01 Author(s): Shivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri Publisher: Divya Sandesh Prakashan View full book textPage 9
________________ जैन शासन के ज्योतिर्धर, महान् ज्योतिर्धर, तेजस्वी सितारे, गौतमस्वामीजंबुस्वामी आदि में उन्होंने जैन शासन के महान् प्रभावक पुरुषों के जीवन चरित्रों का सुंदर आलेखन भी किया है। वे कुशल संपादक भी है-युवाचेतना विशेषांक, जीवन निर्माण विशेषांक, आहार विज्ञान विशेषांक, श्रावकाचार विशेषांक, श्रमणाचार विशेषांक, सन्नारी विशेषांक, राजस्थान तीर्थ विशेषांक जैसे अनेक विशेषांकों का सफल संपादन भी किया है। पूज्य श्री द्वारा आलेखित हिन्दी साहित्य अनेकों को सन्मार्ग की राह बता रहा है। संस्कृत तो हमारी मातृभाषा थी। जैनो का अधिकांश साहित्य संस्कृत भाषा में ही है। 5 कलिकाल का प्रभाव समझो या हमारा पापोदय समझो, जिस संस्कृति में माता और मातृभाषा की खूब खूब महिमा थी, आज उसी देश में उनकी ही घोर उपेक्षा हो रही है। पूज्यश्री के दिल में यह वेदना है। इसीलिए वे प्रवचन और लेखनी के माध्यम से माँ और मातृभाषा की महिमा समझाते है। प्रस्तुत पुस्तक उन लोगों के लिए वरदान स्वरुप सिद्ध होगी, जिनके अन्तर्मन में जैन धर्म के गहन रहस्यों को जानने की तीव्र जिज्ञासा है। संस्कृत भाषा को जानने-समझने वाला व्यक्ति जैन साहित्य का सरलता से बोध प्राप्त कर सकता है। बस, प्रस्तुत पुस्तक का सदुपयोग कर सभी संस्कृत भाषाविद् बने और उस भाषा में उपलब्ध जैन साहित्य का गहन अध्ययन कर जैन धर्म के मर्म को अपने जीवन में उतारकर अपना आत्म कल्याण करें, इसी शुभ कामनाओं के साथ !Page Navigation
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