Book Title: Aao Sanskrit Sikhe Part 01
Author(s): Shivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

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Page 8
________________ इस महामंगलकारी महोत्सव प्रसंग में पूजा, पूजन, गौतमस्वामी संवेदना, नवकार जाप अनुष्ठान, श्रुतवंदना तथा जिन मंदिर शणगार, महापूजा के साथ में ही पूज्यश्री द्वारा आलेखित संपादित एक साथ में पांच पुस्तकों का भव्य विमोचन भी होने जा रहा है। ऐसे पावन-प्रसंग दुर्लभता से ही प्राप्त होते है। वे कुशल प्रवचनकार और अवतरणकार भी हैं। सामायिक सूत्र, चैत्यवंदन सूत्र, आलोचना सूत्र, श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र, आनंदघन चौबीसी, आनंदघनजी के पद, पू. यशोविजयजी म. की चौबीसी आदि के ऊपर उन्होंने खूब सुंदर व सरलशैली में विवेचन भी किया है। वे कुशल प्रवचनकार और अवतरणकार भी हैं। जैन रामायण और महाभारत पर दिए गए उनके जाहिर प्रवचनों का उन्होंने स्वयं ने आलेखन भी किया है। वे कुशल भावानुवादक हैं-शांत सुधारस, श्राद्धविधि, गुणस्थानक क्रमारोह, प्रथम कर्मग्रंथ जैसे प्राचीन ग्रंथों का उन्होंने सरस भावानुवाद व विवेचन भी किया है। वे प्रभावक कथा-आलेखक भी हैं-कर्मन् की गत न्यारी (महाबलमलयासुंदरी चरित्र) आग और पानी (समरादित्य चरित्र) कर्म को नहीं शर्म (भीमसेन चरित्र) तब आँसू भी मोती बन जाते हैं। (सागरदत्त चरित्र) कर्म नचाए नाच (तरंगवती चरित्र) जैसे अनेक चरित्र ग्रंथों का धारावाहिक कहानी का उपन्यास शैली में आलेखन भी किया है। वे प्रसिद्ध चिंतक भी हैं। प्रवचन मोती, प्रवचन रत्न, चिंतन मोती, प्रवचन के बिखरे फूल, अमृत की बूंदें, युवा चेतना जैसे प्रकाशनों में उनके हृदयस्पर्शी चिंतन भी प्रस्तुत हुए हैं। वे कुशल प्रवचनकार भी हैं-सफलता की सीढ़ियाँ, श्रावक कर्तव्य, नवपद प्रवचन, प्रवचन-धारा, आनंद की शोध में, उनके प्रवचनों के सुंदर संकलन हैं। वे प्रसिद्ध कहानीकार भी हैं, प्रिय कहानियाँ, मनोहर कहानियाँ, ऐतिहासिक कहानियाँ, मधुर-कहानियाँ, प्रेरक कहानियाँ आदि में उन्होंने अत्यंत ही सुंदर हृदयस्पर्शी कहानियों का आलेखन किया है।

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