Book Title: Aagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 02
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
(४०)
"आवश्यक’- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्तिः ) भाग-२ अध्ययनं H, नियुक्ति: [४६९-४७१], वि०भा०गाथा H], भाष्यं [११४...], मूलं [-/गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] “आवश्यक नियुक्ति: एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति:
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15य, जहिवसं साक्गो न जेमेइ तदिवस न जेमेति, तस्स सावगस्स भावो जातो-जहा इमे भविया स्वसंता, अभदहिओ य नेहो जातो, ते स्वस्सिणो, तस्स य सावगस्स मिचो, तत्थ भंडीरमणजत्ता, तारिसा नत्थि अन्नस्स बइल्ला,
ताहे ते भंडीए जोइता णीया अणापुच्छाए, तत्थ अण्णेणवि अन्नेणवि समं वादं कारिया, ताहे छिन्ना, तेण ते आणे बद्धा, न चरंति न य पाणियं पियंति, जाहे सबहा नेच्छंति ताहे सो सावतो भत्तं पञ्चक्खाइ नमोकार च देइ, ते का:गया नागकुमारेसु उववन्ना, ओहिं पउंजंति, जाव पेच्छंति तित्थगरस्स उवसर्ग कीरमाणं, ताहे णेहिं चिंतियं-अलाहि
ता असेण, सार्मि मोएमो, आगया, एगेण नावा गहिया, एगो सुदाढण समं जुन्झइ, सो महिडिगो, तस्स पुण पाचवणकालो, इमे णु अहणोषवन्नया, सो तेहिं पराइतो, ताहे ते नागकुमारा तित्थयरस्स महिमं करेंति, सत्तं रूवं च
गायंति, एवं लोगोऽवि । ततो सामी उत्तिन्नो, तत्थ देवेहिं सुरहिंगंधोदयवासं पुष्फवासं च बुढे, तेऽवि पडिगया ॥ अमु| 1मेवार्थमुपसंहरबाह
सुरभिपुर सिद्धदत्तो गंगा कोसिप विऊ य खेमलतो । नागसुदाडे सीहे कंबलसवलाण जिणमहिमा ॥४९॥6 महुराए जिणदासो आभीर विवाह गोण उववासो। भंडीरमणमित्त बच्चे भत्ते नागोहिआगमणं ॥४७॥ वीरवरस्स भगवतो नावारुबस्स कासि वसग्गं । मिच्छादिद्विपरद्धं कंवलसपला समुत्तारे ॥४७१ ॥ सुरभिपुर भगवान् गतः, तत्र गङ्गा नाम नदी, सिद्धयात्रो नाम नाविकः, तत्र नाचमारोहति, जने कौशिको महाशकुनापरपोयो वासितवान्, खेमलकश्च शकुन विद्वान् अवादीत्-यदि परमेतस्य भगवतः प्रभावेन जीवाम इति,
दीप अनुक्रम
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Jan Eros
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