Book Title: Aagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 02
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 295
________________ आगम (४०) "आवश्यक”- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्ति:) भाग-२ अध्ययनं H नियुक्ति: [४९२], वि०भा गाथा H, भाष्यं [११४...], मूलं - /गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] “आवश्यक नियुक्ति: एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सत्रांक थंभो आसत्यो जातो, बहुला य गावी तेण पदेसेण आगता, तीए खुरेण निक्खित्तो सुप्पइद्वितो जातो, पुष्पा य पत्ता य ४ जाता ॥ एनमेवार्थ सझेपत आहहै। अनितयवासं सिद्धत्थपुरं तिलथंभ पुच्छनिष्फत्ती । उप्पाडेइ अणडो गोसालो वास बहुलाए ॥ ४९२ ॥ श अनियतं वासं भगवान् अनार्यदेशे कृतवान् , वसतेरलाभात्, ततः सिद्धार्थपुरं गतः, तस्मानिर्गत्य कूर्मग्राम प्रति प्रस्थितः, तत्रान्तरा गोशालेन तिलस्तम्वविषये पृच्छा कृता-किमेष तिलस्तंबो निष्पत्स्यते नवा?, भगवता निष्पत्तिरुदाहृता, ततोs नायों गोशालस्तं तिलस्तम्बमुत्पाटयति, 'वास'त्ति यथासन्निहितैय॑न्तरवर्ष कृतं, वहुलया गवा खुरेण निखात्य स्थिरीकृतः॥ 0 ततो दोऽवि कुम्मगाम संपत्ता, तस्स वाहिं वसियायणो बालतवस्सी आयावेइ, तस्स का उप्पत्ती?-चंपाए नयरीए रायगिहस्स य अंतरा गोबरगामो, तत्थ गोसंखीनाम कुथुवितो, सो आभीराण अहिवई, तस्स बंधुमई भज्जा अविया भारी, इतो य तस्स अदूरसामंते गामो चोरेहिं हतो, ते इंतूण चंदिग्गाहं च काऊण पधाविया, एगा अचिरप्पसूया। पइंमि मारिए चेडेण समं गहिया, सा तं चेडं छड्डाविया, सो चेडो तेण गोसंखिएण गोरूवाण गएण दिट्ठो, गहितो या अप्पणिजियाए महिलाए दिनो, तत्थ पगासियं, जहा-मम महिलाए गूढोगम्भो आसि, तत्थ छगलं मारित्ता लोहियगंधत्ता हैसूइयानेवत्थेण ठिया, सवं जं तस्स इतिकत्तवयं तं कीरइ, एवं सो तत्व संबड्डइ, सावि से माया चंपाए विक्कीया, वेसियाए धेरीए मम धूयत्ति तीए उवयारं सिक्खाविया, सा तत्थ पगासा गणिया जाया, सो य गोसंखियपुत्तो तरुणो। जातो, धयसगडेहिं पं गतो सवयंसो, तरथ पेच्छइ नागरं जणं जहिच्छियमभिरमंतं, तस्सवि इच्छा जाया, अपि दीप अनुक्रम For Five Porno wiewsanelibrary.orm ~295

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