Book Title: Aagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 02
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 315
________________ आगम (४०) "आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्ति:) भाग-२ अध्ययनं न, नियुक्ति: [५१६-५१८], विभा गाथा H], भाष्यं [११४...], मूलं [- /गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: २५.५** प्रत सत्राक चंदणं, ततो कूरं पमग्गितो, जाव समावत्तीए नस्थि, ताहे कुम्मासा दिवा, ते सुप्पकोणे घेत्तूण तीसे दिना, सेट्ठी लोहकारघरं गतो, नियलाणि छिदावेमि, ताहे साहस्थिणीव कुलं संभारिउमारद्धा एलगं विक्खंभइचा, तेहिं पुरतोकतेहिं अग्भतरतो रोयइ, सामी आगतो, ताए वितिय-सामिस्स देमि, मम एयं अहम्मफलं, भण-भय कप्पइ, सामिणा पाणी । पसारितो, चउचिहोऽवि पुन्नो अभिग्गहो, पंच दिवाणि पाउन्भूयाणि, ते वाला तदवत्था चेव जाया, नियलाणि फिट्टाणि, सोवन्नयाणि नेउराणि जायाणि, देवेहि य सबालंकारा कया, सको देवराया आगतो, वसुहाराए पमाणं अडतेरस ते हिरण्णकोडी, कोसंबीए य सवतो उग्घुटुं-केणइ पुण्णमंतेण अज सामी पडिलाहितो, ताहे राया संतेउरपरियणो । आगतो, तस्थ संपुलो नाम दहिवाहणस्स कंचुकी, सो रण्णा बंधित्ता आणीतो, सोऽवि रण्णा सह तत्थागतो, तेण ।। हसा चंदणा पञ्चभिजाणिया, पच्छा पाएमु पडिऊण परुनो, राया पुच्छति-का एसा, तेण से कहियं, जहा-एसा दहिवाहतणस्स रपणो दुहिया, मियावती भणइ-मम भगिणीधूया, अमच्चोवि सपत्तीतो आगतो, सामी वंदइ, सामी विनिग्गतो, ताहे राया तं वसुहारं पगहिओ, सक्केण वारितो, जस्स एसा देइ तस्स आभवइ, सा पुच्छिया भणइ-मम पिउणो, ताहे सकेण सयाणितो भणितो-एसा परमसरीरा एवं संगोवाहि जाव सामिस्स नाणं उपज, एसा पढमसिस्सिणी, ताहे कन्नतेउरे छुढा संचिट्ठइ, छम्मासा तया पंचहिं दिवसेहिं ऊणगा अभिग्गहस्स गहियस्स जाया जदिवसं सामिणा भिक्खा 1लद्धा, सावि मूला लोगेण अंबाडिया हीलिया य । अमुमेवार्थ सञ्जिघृक्षुराह- . कोसंबीह सयाणिअ अभिग्गहो पोसबहुलपाडिवए । चाउम्मासि मिगावद विजय सुगुत्तो अनंदा य ॥१९॥ RAMA दीप अनुक्रम ***%%*24..... 4 ForPivate Permaneumony ~315

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