Book Title: Aagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 02
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 292
________________ आगम (४०) "आवश्यक”- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्ति:) भाग-२ अध्ययनं H, नियुक्ति: [४८९], विभा गाथा H, भाष्यं [११४...], मूलं F /गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: वासुदेवबलमंदिरे प्रत श्रीवीर कटपूतनाचारिकाशंका उपोद्धात IMबहसालगसालवणे कडपूयण पडिम विग्घणोवसमे । लोहग्गलम्मि चारिय जियसत्तू उप्पले मुक्खो। ४८९॥ निर्यादा भगवान् बहुशालकं ग्रामं गतः, तत्र शालवने प्रतिमया स्थितः, कटपूतनायाश्च व्यन्तर्या विधन-विघ्नकरणं, तत उपशमः, ततो भगवान् लोहागेले नगरे गतः, तत्र जितशत्रू राजा, चारिकायेताविति द्वयोरपि ग्रहणं. तत 'उप्पल'। चरिते इति प्राकृतत्वात् तृतीयार्थे सप्तमी उत्पलेन कथिते मोक्षः।। | ततो सामी पुरिमतालं गच्छद, तत्थ वग्गुरो नाम सेट्ठी, तस्स भद्दा भारिया वंझा अवियाउरी जाणुकोप्परमाया, बहुणि ॥२८॥ देवसयोवाध्याणि का परिस्संता, अन्नया सगडमुहे उज्जाणे उज्जाणिया गया, तत्थ पासइ जुन्नं देवउलं सडियपडियं, तथा मल्लिसामिणो पडिमा,तं नमसंति, जइ अम्ह दारगो दारिगा वा जायइ तो एवं देवउलं करेस्सामो, एवं नमंसित्ता गयाणि, तत्थ अहासंनिहियाए वाणमंतरीए देवयाए पाडिहेरं कयं, आस्तो गम्भो, जंचेव आहूतो तं चेव देवकुलं कारमार, | अतीव तिसंझं पूर्व करेंति, पवइयगाण सगासं जंति, एवं सो सावगो जातो । इतो य सामी विहरमाणो सगडमुहस्स[. उखाणस्स नवरस्स य अंतय पडिमं ठितो, वग्गुरो य हातो उल्लपडसाडगो सपरिजणो महया इड्डीए विविहकुसुमहत्थगतो, तं ाययणं अञ्चतो जाति, ईसाणो य देविंदो पुवागयतो सामि वंदित्ता पजुवासइ, वग्गुरं च वइवयंतं पासइ, भणद| य-भो बग्गुरा! तुम पञ्चक्खतित्थगरस्स महिर्म न करेसि, तो पडिमं अञ्चओ जासि, एस महावीरवद्धमाणोत्ति, ततो आगतो मिच्छामिदुकडं का सामेइ महिमं च करेइ, ततो सामी उन्नागं बच्चइ, तत्धंतरा वर्वरं सपडिहुत्तं एइ, ताणि पुण दोवि विरूवाणि दंतुराणि स, तत्थ गोसालो भणइ, अहो इमो सुसंजोगो "तत्तिल्लो विहिराया जाणइ दूरेवि जो दीप अनुक्रम ॥२८॥ 2-1- F ForFive Persanamory % ~292

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