Book Title: Aagam 12 AUPAPAATIK Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
(१२)
“औपपातिक” - उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:)
----------- मूलं [४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१२], उपांग सूत्र - [१] "औपपातिक" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
दीप अनुक्रम
|| दप्पणा 4, तत्र श्रीवत्स-तीर्थकरहृदयावयवविशेषाकारो, नन्द्यावर्तः-प्रतिदिनवकोणः स्वस्तिकविशेषो रूदिगम्यो, पर्द्धमानक-शरावं, पुरुषारूढः पुरुष इत्यन्ये, भद्रासनं-सिंहासनं, दर्पणः-आदर्शः, शेषाणि प्रतीतानि । 'सवरयणामया' 'अच्छाः' स्वच्छाः आकाशस्फटिकवत्, 'सण्हा' श्लक्ष्णा:-श्लक्ष्णपुद्गलनिवृत्तत्वात् , 'मण्हा' महणाः, 'पठ्ठा' पृष्टा इव || घृष्टा खरशानया प्रतिमेव 'मट्ठा' मृष्टाः सुकुमारशानया प्रतिमेव प्रमार्जनिकयेव वा शोधिताः, अत एव 'निरया' नीर-1 | जसः रजोरहिताः 'निर्मला:' कठिनमलरहिताः 'निप्पंका' आर्द्रमलरहिताः 'निकंकडच्छाया' निरावरणदीप्तयः 'सप्पहा सप्रभाः 'समिरीया' सकिरणाः 'सउज्जोया प्रत्यासन्नवस्तुद्योतकाः 'पासादीया ४ । 'तस्स णं असोगवरपायवस्स उवरि वहवे 'किण्हचामरज्झया' कृष्णवर्णचामरयुक्तध्वजाः 'नीलचामरज्झया लोहियचामरज्झया सुकिल्लचामरज्झया हालिद्दचामरझया अच्छा सण्हा' 'रुप्पपट्टा रौप्यमयपताकापटाः 'वइरामयदंडा' वनदण्डाः 'जलयामलगंधिया' पद्मवत् निर्दो-3 पगन्धाः 'सुरम्मा पासादीया' 'तस्स णं असोगवरपायवस्स' 'उवरि' उपरिष्टात् 'वहवे' 'छत्ताइच्छत्ता' उपर्युपरिस्थिताss-14
तपत्राणि 'पडागाइपडाया' पताकोपरिस्थितपताकाः 'घण्टाजुयला चामरजुयला' 'उप्पलहत्थगा' नीलोत्पलकलापाः 'पउका महत्थगा' पद्मानि रविवोध्यानि 'कुमुयहत्थगा' कुमुदानि चन्द्रवोध्यानीति, 'कुसुमहत्थय'त्ति पाठान्तरं 'नलिणहत्थगा सुभ-| गहथगा सोगंधियहत्वगा' नलिनादयः पद्मविशेषा रूढिगम्याः, 'पुंडरीयहस्थया' पुण्डरीकाणि-सितपद्मानि 'महापुंडरीयहत्या' महापुण्डरीकाणि तान्येव महान्ति 'सयपत्तहत्था सहस्सपत्तहत्था सघरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा ४॥४॥ तस्स णं असोगवरपायवस्स हेट्ठा ईसिं खंधसमल्लीणे एस्थ णं महं पक्के पुढविसिलापट्टए पपणत्ते, विक्खं-10
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अशोकवृक्षस्य वर्णनं, पृथ्वीशीलापट्टकस्य वर्णनं
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