Book Title: 24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan Author(s): Publisher: ZZZ UnknownPage 12
________________ SALALALALALALALALALALA वमितं मधुरं शमितं मधुरं, मथुराधिपतेर खिलं मधुरम्॥ गुंजामधुरा, माला मधुरा यमुना मधुरा बीची मधुरा। सलिलं मधुरं कमल मधुरं, मथुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥ गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्। दुष्टं मधुरं शिष्ट मधुरं, मथुराधिपतेरखिलं मधुरम्।। गोपा मधुरा गावो मधुरा, यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा। दलित मधुरं फलित मधुरं, मथुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥ ||कृष्णं वंदे जगद्गुरुम।। भगवान शिव की स्तुतिः HARAAAAAAAAAAAAAAAAAAAADWAL ॐ वन्दे देव उमापतिं सुरगुरं वन्दे जगत कारणम्। वन्दे पन्नगभूषणं मृगधर वंदे पशुनापति॥ वन्दे सूर्य शंशांक वर्हिननयनं, वन्दे मुकुन्द प्रियम्। वन्दे भक्त जनाश्रय च वरदं, वन्दे शिवं शंकरम्॥ ॐनमो नारायणाय श्रीमन्नारायण चरणौशरणं प्रपद्ये। श्रीमते नारायण नमः॥ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुखः भाग भवेत्॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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