Book Title: 24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

Previous | Next

Page 29
________________ MAKALAKLAKWILAJLAJMLAJLAJKLASLANLAMAJIKLALLAKAAN ૧૧. શ્રી શ્રેયાંસનાથ તીર્થકર ____ भवरोगार्तजंतूना मगदंकारदर्शनः ।। निःश्रेयसश्रीरमणः श्रेयांसः श्रेयसेऽस्तु वः ।। भशेततूना, भग २६र्शनः । नि:श्रेयसश्रीरमः श्रेयांस: श्रेयसेऽस्तु यः ।। ॐ णमो भगवदो अरहदो अरहदो श्रेयांश सिज्झिधम्मे भगवदो विज्झर महाविज्झर श्रेयांस करै भयंकरै स्वाहा॥ METHEATREATMLATKLATHEATREATHEATHEATHEATKAAHEALHEATREATHEATREATHEATREATHEATHEATREATKLATKEATHEATREATMENT ૧૨. શ્રી વાસુપૂજ્ય સ્વામી તીર્થકર विश्वोपकारकीभूत, तीर्थकुत्कर्मनिर्मितिः । सुरासुरनरैः पूज्यो, वासुपूज्यः पुनातु वः ।। વિશ્વોપકારકીભૂત, તીર્થકુત્કર્મનિર્મિતિઃ | सुरासुरनरैः पूथ्यो, वासुपूश्यः पुनातु वः ।। ॐ णमो भगवदो अरहदो वासुपूज्य सिज्झ धम्मै भगवदो विज्झर महाविज्झर पुज्जे महापुज्जे पुज्जायै स्वाहा॥ SHRETATRARAN អាងកង nxvixnnnvirvin VIVIXVXVIA TAXE Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90