Book Title: 24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan Author(s): Publisher: ZZZ UnknownPage 46
________________ TUTATITALKIALREAST PAY LEASEASEASEASEASEASEASEASEASEASEAS ||श्री बप्पभट्टि सूरीश्वर विरचित श्री सरस्वती कल्प के महाप्रभावशाली मंत्र॥ ॥ ॐ ऐं श्रीं सौं क्लीं वद वद वाग्वादिनी ही सरस्वत्यै नमः॥ || ॐ ऐ श्रीं वद वद वाग्वादिनी। भगवती। सरस्वति ही * नमः॥ ॥ ॐ ऐ* अर्ह वग् वग् वाग्वादिनी भगवती सरस्वति मम जिव्हाग्रे वास कुरू कुरू स्वाहा॥ ॥ ॐ अहँन्मुख कमल वासिनि पापात्मक्षयंकरि श्रुत ज्ञान ज्वाला सहस्त्र ज्वलिते सरस्वति मत्पापं हन हन दह दह क्षाँ क्षीं हूं क्षौँ क्षः क्षीखरधवले अमृतसंभवे वँ वँ हूँ हूँ स्वाहा। JWAAAAAAAAAAAAAAAAA! स्तुति नमस्ते शारदे। देवि। काश्मीर प्रतिवासिनि। त्वामहं प्रार्थयेऽनाथे। विद्यादानं प्रदेहि मे। प्रथम भारती नाम, द्वितीयं च सरस्वती। तृतीयं शारदा देवी, चतुर्थ हंसगामिनी, पंचमं विदुषां माता, षष्ठं वागीश्वरी तथा। कुमारी सप्तम प्रोक्त-मष्टमं ब्रह्मचारिणी।नवमं त्रिपुरा देवी, दशमं ब्राह्मणी तथा एकादंश च ब्रह्ममाणी, द्वादश ब्रह्मवादिनी। वाणी त्रयोदंश नाम भाषा चैव सरस्वती। पंचदंश श्रुत देवी, षोडश गौर्निगद्यते। एतानि शुद्धनामनि, प्रातः रूत्थाय यः पठेत। तस्य संतुष्तये देवी शारदा वरदायिनी या कुंदेन्दु तुषारहार धवला या HE MERGE 43 HEPATIERATURERE Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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