Book Title: 24 Tirthankar Saraswatidevi Pramukh Tirth Dev Devi Mahapoojan Author(s): Publisher: ZZZ UnknownPage 43
________________ ॐ JLAHLAHLAH LAHAHAHAHAHAHAHAH LA LAHAHAHAHAHAHAHAHAHAHAHAH BHAJ ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै केवलज्ञान स्वरूपायै लोकालोक प्रकाशिकायै श्री सरस्वत्यै वस्त्र पूजां यजामहे स्वाहा ॥ ११ षोडशभरण पूजा- कांचीसूत्र - विनूतसार निचितैः केयूर-सत्कुण्डलै-मंजीरागद-मुद्रिकादि-मुकुटप्रालम्बिकावासकैः। अंचच्याटिक पट्टिकादि विलगद् ग्रैवेयकैर्भूषणै: सिंदूरांग सुकांति वर्ष सुभगैः सम्पूजयामो वयम् ॥ ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै केवलज्ञान स्वरूपायै लोकालोकप्रकाशिकायै श्री सरस्वत्यै षोडशाभरणं पूजां यजामहे स्वाहा ॥ IMME Jain Education International LAJL 40 For Private & Personal Use Only MAHLAT LAHAHAHAHAHAHAHAHAHAH LAILAH LAHLAJE ॐ MMMMMA www.jainelibrary.orgPage Navigation
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