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ॐ
JLAHLAHLAH LAHAHAHAHAHAHAHAH LA LAHAHAHAHAHAHAHAHAHAHAHAH
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ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै केवलज्ञान स्वरूपायै लोकालोक प्रकाशिकायै श्री सरस्वत्यै वस्त्र पूजां यजामहे
स्वाहा ॥
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षोडशभरण पूजा- कांचीसूत्र - विनूतसार निचितैः केयूर-सत्कुण्डलै-मंजीरागद-मुद्रिकादि-मुकुटप्रालम्बिकावासकैः। अंचच्याटिक पट्टिकादि विलगद् ग्रैवेयकैर्भूषणै: सिंदूरांग सुकांति वर्ष सुभगैः सम्पूजयामो वयम् ॥
ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै केवलज्ञान स्वरूपायै लोकालोकप्रकाशिकायै श्री सरस्वत्यै षोडशाभरणं पूजां यजामहे स्वाहा ॥
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MAHLAT LAHAHAHAHAHAHAHAHAHAH LAILAH LAHLAJE
ॐ
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